स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1864 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में हुवा था।
जन्म
उनका असली नाम "नरेंद्रनाथ विश्वनाथ दत्त" था। आध्यात्मिक जीवन की प्राप्ति के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर "स्वामी विवेकानंद" कर लिया।
असली नाम
विवेकानंद के पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था जो कि कलकत्ता हाईकोर्ट में वकील थे। उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था।
माता-पिता
1884 में उन्होंने BA की पढ़ाई पूरी करी और इसके साथ ही उन्होंने वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, गीता, और हिंदू शास्त्र सभी का भी गहरा अध्ययन किया।
शिक्षा
स्वामी विवेकानंद ने कभी शादी नही की और उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया।
शादी
18 वर्ष की आयु में उनकी मुलाकात संत रामकृष्ण परमहंस से हुई। जो की उनके आध्यात्मिक गुरु बने।
आध्यात्मिक जीवन
रामकृष्ण के मार्गदर्शन में उन्होंने कई आध्यात्मिक प्रथाओं की खोज करी और बाद में वो स्वामी विवेकानंद के नाम के साथ ही एक संत बन गए।
25 साल की उम्र में उन्होंने गेरुआ रंग के वस्त्र धारण कर लिए और उसके बाद उन्होंने पूरे भारतवर्ष की यात्रा शुरू कर दी।
उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो की एक आध्यात्मिक संगठन है। जो प्राचीन हिंदू दर्शन और वेदांत के सिद्धांतों को बढ़ावा देता है।
1893 में, स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म महासभा में भाग लेने के लिए शिकागो की यात्रा की, जहाँ उन्होंने एक प्रसिद्ध भाषण दिया जिसने हिंदू धर्म और वेदांत को पश्चिमी दुनिया से परिचित कराया।
इस भाषण ने उन्हें वैश्विक आध्यात्मिक समुदाय में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में सम्मान दिया। स्वामी विवेकानंद ने अपना शेष जीवन धर्म और वेदों के प्रचार प्रसार में बिताया।
4 जुलाई, 1902, को स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ में महासमाधि लेकर अपना जीवन त्याग दिया। उस वक्त उनकी उमर महज 39 साल थी।
मृत्यु
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