Wilma Rudolph success inspirational story – सफलता की सच्ची कहानी

दोस्तों, जिंदगी अगर हौंसलों से भरी हो तो कोई भी कमजोरी हमे आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। हम अपनी हिम्मत, ताकत और जूनून से ऐसे ऐसे कारनामे कर सकते हैं जिन्हें दूसरे नामुमकिन समझते हैं। इस संसार में ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने अपनी जिद्द पूरी करके सबको हैरान कर दिया। और ऐसा ही एक नाम है विल्मा रुडोल्फ का। आज की संघर्ष से लेकर सफलता की सच्ची कहानी है विल्मा रुडोल्फ की।

wilma rudolph success inspirational story इस बात का example है की अगर इंसान चाहे तो अपने जिद्द और जूनून के साथ नामुमकिन को मुमकिन कर सकता है। wilma rudolph real life story हम सभी के लिए प्रेरणा का बहुत बड़ा स्रोत है।

इस मोटिवेशनल कहानी को जरूर पड़ें क्यूंकि wilma rudolph ki jivan kahani में बहुत कुछ ऐसा है जो आपको जिंदगी में कुछ करने के लिए जरूर motivate करेगा। तो पड़ते हैं आज की..

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Wilma Rudolph Story

अमेरिकी रनर विल्मा रुडोल्फ (Wilma Rudolph) की कहानी साबित करती है कि इस जीवन में कुछ भी हांसिल करना नामुमकिन नहीं है। रेसिंग की दुनिया की एक ऐसी महिला खिलाड़ी जिसने बचपन में पोलियो होने के बावजूद ओलंपिक में एक नहीं, दो नहीं बल्कि 3-3 गोल्ड मेडल जीते। विल्मा रुडोल्फ (Wilma Rudolph) का जन्म अमेरिका के टेनेसी में हुवा था। उनके परिवार की आर्थिक स्तिथि भी काफी कमजोर थी।

Wilma को महज 4 साल की उम्र में पोलियो हो गया जिसकी वजह से वो विकलांग हो गयी। विल्मा knee brace के सहारे चला करती थी। और डॉक्टरों ने भी विल्मा की मां को कह दिया था कि वो कभी अपने पैरों पर चल नहीं पाएगी। लेकिन विल्मा की मां ने कभी हार नहीं मानीं और उन्होंने हमेशा अपनी बेटी के मन में ये विश्वास बनाये रखा की एक दिन वो दूसरे बच्चों की तरह चल सकेगी। जिसकी वजह से Wilma अकसर अपनी मां से चलने और दौड़ने के बारे में सवाल पूछा करती थीं. 

9 साल की उम्र में विल्मा ने जिद करके अपने पैरों पर लगे knee brace निकलवा दिये और और चलने की कोशिश करने लगी। इस दौरान विल्मा रुडोल्फ काफी चोटिल हुईं लेकिन उन्होंने अपनी जिद नहीं छोड़ी। उन्होंने ये जिद ठान ली थी की अब बस उन्हें किसी भी कीमत में चलना है। उनका हौसला और मेहनत रंग लाया और 13 साल की उम्र में वो दौड़ने लगीं।

विल्मा ने 13 की उम्र में ही अपनी पहली दौड़ में हिस्सा लिया लेकिन उस race में वो हार गयी। Wilma का जीवन 14 साल की उम्र में बदला, जब वो हाई स्कूल में बास्केटबॉल खेल रहीं थीं। उनके हाई स्कूल के ट्रैक एंड फील्ड कोच ‘एड टेंपल’ ने विल्मा की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें रनर बनने के लिए motivate किया।

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जिसके बाद विल्मा ने racing की बहुत practice करी और 14 साल की उम्र में उन्होंने टेनिसी समर कैंप में रनिंग के सभी competition जीत लिए। 1956 में विल्मा ने US ओलिंपिक ट्रैंड एंड फील्ड ट्रायल में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए मेलबर्न ओलिंपिक्स की 200 मीटर रेस के लिए Qualify कर लिया और उस रिले रेस में कांस्य पदक हासिल किया।

1960 रोम ओलिंपिक में विल्मा ने अपने प्रदर्शन से racing की दुनिया में एक नया कीर्तिमान हासिल कर लिए। Wilma ने इस ओलिंपिक में 100 मीटर, 200 मीटर और 100×4 रिले रेस में गोल्ड मेडल जीत लिया। विल्मा एक ओलिंपिक्स में तीन Gold Medal जीतने वाली पहली अमेरिकी महिला बनी और यही नहीं विल्मा उस वक्त की सबसे तेज रेसर भी बनी। विल्मा ने 23.2 सेकेंड में 200 मीटर रेस जीतकर दुनिया की सबसे तेज रेसर बनने का गौरव हासिल किया। 


प्रेरणादायक सीख जो हमे इस real life success story से मिलती है:

ये छोटी सी प्रेरणादायक कहानी ये बात सीखाती है की कभी कभी हमारी कमजोरी ही हमे हमारी असली ताकत से मिलाती है। और उस ताकत से हम हर वो चीज़ पा सकते हैं जो हम चाहते हैं। इस दुनिया में नामुमकिन जैसा कुछ भी नहीं होता, हमारी कोशिशें ही हमें कामयाब बनाती हैं और हमारे हौंसले ही हमे अपनी मंज़िल तक पहुंचाते हैं। अपनी मंज़िल को पाने के लिए हर किसी को थोड़ा जिद्दी जरूर होना चाहिए क्यूंकि हमारी जिद हमे कभी हारने नहीं देती। जिद और जूनून हमे कामयाबी जरूर दिलाती है।

दोस्तों आपको wilma rudolph success inspirational story कैसी लगी Comment Section में जरूर बताएं। ऐसे ही संघर्ष से लेकर सफलता तक की कहानियों से प्रेरणा लेने और जीवन में सफलता पाने के लिए हमसे जुड़े रहें।

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