The Man Behind Facebook Mark Zuckerberg Success Story New

आज हम बात करने जा रहे हैं उस शख्स की जिसने अपनी छोटी सी उम्र में इतिहास रच के ये साबित कर दिया कि ‘Age is just a number’. जी हाँ आज हम आपको ऐसे महान व्यक्ति की कहानी (success story of famous personality) सुनाने जा रहें हैं जिन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में वो कारनामा कर दिया जिसे बड़ी उम्र के लोग सोच भी नहीं सकते। आज हम आपको बताने जा रहें है Facebook की खोज कैसे हुई।

ऐसा कोई शख्स नहीं है जिसने फेसबुक के बारें में नहीं सुना हो और बहुत कम ऐसे लोग होंगे जिन्होंने इसके फाउंडर यानी मार्क ज़ुकरबर्ग (mark zuckerberg success story) के बारें में न सुना हो। मार्क ज़ुकरबर्ग वो शख्स है जिन्होंने मात्र 19 साल की उम्र में पूरे देश को एक साथ जोड़ दिया और विश्व की सबसे पॉपुलर सोशल नेटवर्किंग साइट Facebook का आविष्कार किया। 

Facebook founder Mark Zuckerberg सफलता की कहानी

मार्क ज़ुकरबर्ग का जीवन परिचय :

Mark Zuckerberg का जन्म 14 मई 1984 को न्यूयॉर्क के Dobbs ferry में हुआ। उनके अलावा उनके घर में उनके माता पिता और उनकी तीन बहनें हैं जिनमे से मार्क दूसरे नंबर के है। उनके पिता का नाम Edward Zuckerberg हैं जो कि एक डेंटिस्ट हैं और अपने घर के पास ही एक क्लिनिक चलाते हैं। और उनकी माता का नाम Karen Zuckerberg है जो कि एक psychiatrist हैं। 

Mark Zuckerberg life story :

Mark Zuckerberg बचपन से ही पढ़ने में काफी होनहार थे साथ ही उनका दिमाग काफी रचनात्मक था। जहाँ इस उम्र में दूसरे बच्चे अपना ज्यादा समय खेलने कूदने में लगाते थे वहीं इस उम्र से ही मार्क ने प्रोग्रामिंग सीखने का मन बना लिया था। प्रोग्रामिंग की इस रूचि को देखते हुए उनके पिता उन्हें Atari Basic Programming पढ़ाया करते थे।

मात्र 12 साल की उम्र में उन्होंने एक messenger बनाया जिसका नाम उन्होंने ZuckNet रखा। ये messenger सही से काम कर रहा है या नहीं इसको जांचने घर के सभी लोग इसे आपस में इस्तेमाल करते थे और एक दूसरे को मैसेज भेजते थे।

मार्क के पिता इसका इस्तेमाल अपने क्लिनिक में करते थे उन्होंने इस messenger को अपने कंप्यूटर में इनस्टॉल कर लिया और उनकी receptionist इसके जरिये नए मरीज के आने पर मार्क के पिता एडवर्ड को मैसेज भेजती थी। मार्क की प्रोग्रामिंग में बढ़ती काबिलियत को देखते हुए मार्क के पिता ने उनके लिए एक प्रोग्रामिंग का टीचर रख दिया जो उनको प्रोग्रामिंग सिखाता था।

मार्क पढ़ाई में इतने तेज़ थे कि टीचर द्वारा सिखाई हुई प्रोग्रामिंग को वो इतनी जल्दी सीख जाते थे कि टीचर भी उनके इस हुनर की तारीफ़ करते नहीं थकते थे। आप मार्क की काबिलियत का पता इस बात से लगा सकते हैं कि वो मजाक मस्ती में अपने दोस्तों के लिए वीडियो गेम्स बना देते थे।जब वह हाईस्कूल में थे तब उन्हें science और literature में कई अवार्ड मिले इससे ये पता चलता है कि मार्क न तो प्रोग्रामिंग में अच्छे थे बल्कि अपने विषय में भी उनकी पकड़ काफी मजबूत थी।

हाईस्कूल के दौरान ही उन्होंने एक mp3 media player बनाया और उसका नाम Synapse रखा। उस प्लेयर की खास बात यह थी कि यूजर जो सुनना चाहता है वह प्लेयर उसी हिसाब से playlist तैयार करता था। Microsoft और AOL जैसी IT companies मीडिया प्लेयर में रूचि दिखाने लगी और मार्क को बहुत सारे पैसे ऑफर किये लेकिन मार्क ने साफ़ मना कर दिया। 

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Facemash की खोज :

Facemash सुनने में शायद नया हो सकता है लेकिन आज कल जो भी शख्स फेसबुक यूज करता है उसने इस फीचर का इस्तेमाल जरूर किया होगा। आइये बताते है कि Facemash आखिर है क्या। अपनी स्कूल की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद मार्क आगे की पढ़ाई के लिए Harvard University चले गए और जाते ही वहां भी अपने टेलेंट से बहुत जल्दी फेमस हो गए।

इसी के साथ 2003 में एक सॉफ्टवेयर बनाया जिसका नाम उन्होंने Facemash रखा जिसके लिए उन्होंने Harvard University के डाटा को हैक करके उसमे से सारे बच्चों के फोटो चुरा लिए और उसे अपने सॉफ्टवेयर Facemash में डाल दिया।

यह एक ऐसा app है जो सारी प्रोफाइल फोटो में से किसी भी 2-2 के जोड़े बना लेता था, उन दोनों में से कौन ज्यादा सुन्दर है इसके लिए फिर उसमे वोटिंग शुरू होती थी। सिर्फ Harvard University के बच्चे ही उसमे वोट दे सकते थे। और फिर एक विनर घोषित होता था।

धीरे धीरे ये साइट इतनी पॉपुलर हो गयी कि बहुत सारे स्टूडेंट इसे access करने लगे और देखते ही देखते Harvard University का सर्वर क्रैश हो गया जिसका पता चलते ही Harvard University के प्रिंसिपल ने तुरंत उनके सॉफ्टवेयर को बंद करा दिया। 

Facebook की शुरुआत : mark zuckerberg real success

एक दिन Harvard University के स्टूडेंट दिव्य नरेंद्र और उनके दो दोस्त मार्क के पास सोशल नेटवर्किंग से जुड़ा एक आईडिया लेकर आये। उन्होंने कहा कि वो ये वेबसाइट Harvard University के स्टूडेंट के लिए बनाना चाहते हैं जिससे स्टूडेंट आपस में photos, personal information और useful links शेयर कर सकें जिसका नाम “Harvard Connection” होगा जिसे मार्क ने तुरंत स्वीकार कर लिया और बाद में इसका नाम ConnectU रखा। 

इस प्रोजेक्ट में काम करने के दौरान ही उन्हें खुद की एक सोशल नेटवर्किंग साइट शुरू करने का आईडिया सूझा। और 2004 में उन्होंने इसके लिए एक domain name “TheFacebook.com” रजिस्टर कराया और बाद में लोगों के सामने ये Facebook बनकर पॉपुलर हुआ। शुरूआती दौर में Facebook का इस्तेमाल सिर्फ Harvard University के स्टूडेंट ही करते थे और धीरे-धीरे Facebook का इस्तेमाल USA की सभी universities के स्टूडेंट करने लगे।

उसके बाद Facebook की बढ़ती पॉपुलरिटी को देखते हुए मार्क ज़ुकरबर्ग ने निर्णय लिया कि इसका इस्तेमाल सिर्फ स्टूडेंट ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी लोग कर पाएं। इसके लिए उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन पढ़ाई आधे में छोड़ दी और इस प्रोजेक्ट के पीछे अपना सारा समय दे दिया। और उसके बाद क्या हुआ आप सब अच्छे से वाकिफ है।

Facebook आज इतना लोकप्रिय है कि दुनिया भर में इसके लगभग 1 बिलियन यूजर्स हैं। और इसकी खास बात ये है कि इसमें हम अपने दोस्तों से बात कर सकते हैं, अपनी भावनाएं शेयर कर सकते हैं, पुराने दोस्तों से फिर से संपर्क कर सकतें हैं। और आजकल लोग इसी में अपना जीवनसाथी भी ढूंढ लेते हैं इसी खासियत को देखते हुए लोग इसकी तरफ आकर्षित होते हैं।

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