जिस तरह आपने अकबर बीरबल के मजेदार और शिक्षाप्रद किस्से पढ़े हैं उसी तरह मुल्ला नसरुद्दीन के भी ऐसे ही कई शिक्षाप्रद किस्से हैं जो शायद आपने ना पढ़े हों। मुल्ला नसरुद्दीन के बारे में शायद आप ठीक से जानते भी नहीं होंगे इसलिए एक बार गूगल में जाकर उनके बारे में जरूर पढ़ें।
आज के इस पोस्ट में हम आपके लिए मुल्ला नसरुद्दीन की एक मोरल स्टोरी लेकर आए हैं। ये Mulla Nasruddin Story मजेदार होने के साथ साथ आपको जीवन में आगे बढ़ने और सफल होने की सीख भी देगी।
सही निशाना – Mulla Nasiruddin Moral Story with Motivation

एक बार मुल्ला नसरुद्दीन अपने शिष्यों को घुमाने के लिए गांव के मेले में लेकर गए। मेले में घूमते घूमते वो एक दुकान पर पहुंचे जहां पर लोग पैसे देकर निशाना लगा रहे थे, जिसमे सही निशाना लगाने वाले को इनाम मिल रहा था। लेकिन एक व्यक्ति के पास सही निशाना लगाने के सिर्फ तीन मौके थे।
मुल्ला नसरुद्दीन अपने शिष्यों को लेकर उस दुकान में गए और अकड़ कर बोले, ‘आओ, आज में तुम्हें अपना निशाना दिखाता हूं।’
मुल्ला नसरुद्दीन का निशाना देखने के लिए काफी भीड़ जमा हो गई। उन्होंने धनुष और तीर उठाया और निशाने लगाने लगे। जैसे ही उन्होंने तीर छोड़ा तो तीर निशाने से बहुत दूर चला गया। मुल्ला जी को देखकर हर कोई हंसने लगा।
मुल्ला जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने भीड़ को तुरंत चुप होने को कहा और अपने शिष्यों की तरफ देख कर बोले, “देखो यही होता है जब आपके अंदर हीन भावना होती है। हीन भावना से भरा हुवा व्यक्ति अपने लक्ष्य को छू नहीं नही पाता और ना ही वो पूरे मन से अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश कर पाता है।”
मुल्ला जी की बात सुनकर भीड़ चुप हो गई और वो उनकी दूसरी कोशिश का इंतजार करने लगी।
मुल्ला जी ने फिर से निशाना साधा और इस बार जल्दबाजी में तीर छोड़ दिया लेकिन इस बार वो तीर पहले वाले तीर से भी ज्यादा दूर जाकर गिरा। लोग इस बार भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए और जोर जोर से हंसने लगे।
मुल्ला जी अपने शिष्यों की तरफ मुड़े और बोले, “देखो जो खुद को ज्यादा माहिर समझता है, वह भी अपने लक्ष्य से चूक जाता है। माहिर व्यक्ति इतनी जल्दी में होता है की उसे पता ही नही चलता की उसका लक्ष्य कब छूट गया। वो जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास में आकर अपने लक्ष्य से दूर हो जाता है।”
मुल्ला जी की बात सुनकर भीड़ फिर से चुप हो गई। अब मुल्ला जी के पास आखिरी तीर और उनकी आंखिरी कोशिश बची थी। इस बार मुल्ला जी ने पहले खुद को शांत किया और फिर निशाना साध कर तीर छोड़ दिया, और तीर सीधा जाकर निशाने के बीच में जा लगा।
इस बार भीड़ शांत रही और सोचने लगी की अब मुल्ला जी अपने शिष्यों को कौनसी शिक्षा देंगे। मुल्ला जी उस दुकानवाले के पास गए और अपने इनाम मांगने लगे।
दुकान का मालिक बोला, “मैं आपको इनाम क्यों दूँ ?’
मुल्ला जी ने कहा, ‘क्यंकि ये आंखिरी तीर मैंने मारा है। पहले वाला तीर उस इनसान का था, जो हीन भाव से पीड़ित था। दूसरा तीर उस इंसान का था, जो अति आत्मविश्वासी था। और आखिर वाला यह मेरा है।”
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मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी से मिलने वाली सीख-
हीन मन और अति आत्मविश्वास हमेशा हमारी असफलता का कारण बनते हैं। जब हमारे मन में दूसरों के प्रति जलन, दूसरों की सफलता को देखकर ईर्ष्या भरने लगती है तो ऐसे मन और ऐसे विचारों के साथ हम खुद को भी आगे नहीं बड़ा पाते। उसी तरह जब किसी काम को किये बिना ही हम उसे पूरा करने के अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं तब भी हम धीरे धीरे खुद को कमजोर बना लेते हैं।
जिंदगी में सफल होना है तो हमे खुद को पहचानना होगा और शांत मन से अपने लक्ष्य की तरफ खुद को बढ़ाना होगा। शांत मन हमे अपने लक्ष्य की तरफ focus करने में मदद करता है। अपने ego, अपने over confidence को कभी अपने लक्ष्य के आगे ना आने दें। हमारा इगो हमें चीजों को स्वीकार करने से रोकता है। हम असफल होने की जिम्मेदारी नहीं लेते। सफल दांव ही हमारा होता है। खुद पर काम करें और सफलता की ओर बढ़ें।
आई होप आपको Mulla Nasruddin moral story से कुछ अच्छा सीखने को मिला हो। ऐसी ही और भी motivational moral stories पढ़ने के लिए हमारे साथ जुड़ें रहें। कहानी को अपने दोस्तों के साथ share जरूर करें।