जब किसी काम में हम बार-बार असफल होते हैं तो हमारे मन में एक सवाल जरूर आता है और वह सवाल होता है कि मुझे सफलता कैसे मिलेगी। कई दफा तो हमें यह भी समझ नहीं आता कि हम कहां गलती कर रहे हैं और क्यों असफल हो रहे हैं। असफलता के डर से अक्सर हमारी सफल होने की चाह कम हो जाती है।
हम धीरे-धीरे खुद को अपने लक्ष्य से दूर करने लगते हैं। बार-बार असफल होना हमें यह एहसास दिलाता है कि हम किसी भी काम में सफल नहीं हो सकते। असफलता का डर हर किसी के मन में होता है। आज की इस Motivational story for success in hindi के जरिए हम आपको बताएंगे कि अपना लक्ष्य पाने के लिए और किसी भी काम में सफल होने के लिए क्या जरूरी है।
यह सक्सेस मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी महान फिलोस्फर सुकरात की सीख पर है। इस hindi story for success को पूरा पढ़ें और इससे मिलनी वाली प्रेरणादायक सीख को अपनी सफलता के लिए इस्तेमाल करें।
मुझे सफलता कब मिलेगी – Short Motivational Story For Success In Hindi

एक बार की बात है, सुकरात किसी काम से अपने शहर से दूसरे शहर की तरफ जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक व्यक्ति मिला। दिखने में गरीब सा था और हालत भी बहुत खराब थी।
सुकरात को देखकर वो सीधा उनके पास गया और बोला, ” सुकरात, आप तो बहुत बड़े फिलॉस्फर हैं। ज्ञान का भंडार आपके पास है। लोगों को हर तरह का ज्ञान देते हैं। आप आज मुझे भी ज्ञान दीजिए और बताइए की मुझे सफलता कब मिलेगी।”
उसकी बातें सुनकर सुकरात को लगा की ये कोई पागल है और उनके साथ मजाक कर रहा है। वो उसकी बात का जवाब दिए बिना वहां से निकलने गए। लेकिन उस व्यक्ति ने उन्हें जाने नही दिया और अपने सवाल पर अड़ा रहा।
उससे तंग आकर सुकरात ने उसे बोला। पास में एक नदी है कल सुबह तुम वहां पर आ जाना। मैं अपने साथ एक दो और ज्ञानी लोगों को लेकर आऊंगा और तुम्हें तुम्हारे सवाल का जवाब दे दूंगा।”
अगले दिन वह व्यक्ति नदी के पास पहुंच गया और सुकरात भी दो लोगों के साथ वहां आ गए।
सुकरात ने उस व्यक्ति से कहा, “चलो नदी में उतरकर इसकी गहराई नापते हैं और वहीं मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दे दूंगा।”
जैसे ही वो लोग नदी में थोड़ा आगे बड़े तो सुकरात ने अपने दोनों साथियों के साथ मिलकर उस व्यक्ति को पानी में डूबा दिया। पानी में डूबते ही वो व्यक्ति इधर उधर हाथ पैर मारने लगा। उसको छटपटाता देख थोड़ी देर में सुकरात ने उसे छोड़ दिया और वह व्यक्ति तेजी से तैरता हुवा नदी से बाहर आया और जोर जोर से सांसें लेने लगा। थोड़ा देर बाद जब वह सामान्य हुवा तो उसने सुकरात से कहा, “अपने मुझे यहां मेरे सवाल का जवाब देने बुलाया है या फिर मेरी जान लेने के लिए।”
उसकी बात सुनकर सुकरात ने पूछा, “जब तुम पानी के अंदर डूब रहे थे तो उस वक्त तुम क्या चाहते थे?”
वो व्यक्ति बोला, “उस वक्त में बस किसी भी तरह पानी से बाहर निकलकर सांस लेना चाहता था और अपनी जान बचाना चाहता था।”
सुकरात बोले, “बस यही तो तुम्हारे सवाल का जवाब है। जब तुम सफलता को भी इतनी ही तीव्र इच्छा से पाना चाहोगे जितनी तीव्र इच्छा से तुम सांसे लेकर अपनी जान बचाना चाहते थे, तब तुम्हें सफलता जरूर प्राप्त होगी।”
सीख जो हमे इस सफलता के लिए प्रेरणादायक कहानी से मिलती है –
ये कहानी हमें सिखाती है कि जब तक अपने लक्ष्य को पाने के लिए हमारे अंदर तीव्र इच्छा नहीं होगी, तब तक हम सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। दोस्तों, हम लक्ष्य तो बना लेते हैं लेकिन उस लक्ष्य को पाने की हमारे अंदर इच्छा नहीं होती।
हमारे मन में ये होता है कि “ये मिल गया तो ठीक, नहीं मिला तो भी क्या करना। कुछ और देख लेंगे।” बस जब तक हमारी सोच ऐसी होगी तब तक हम किसी भी काम में सफलता नहीं पा सकते। किसी भी काम में सफलता पानी है और किसी भी लक्ष्य को पूरा करना है तो उस काम में इस तरह लग जाए कि यही जिंदगी का आखरी काम है और इसके बाद कुछ नहीं हो सकता।
जब हमारे अंदर ऐसी इच्छा जागेगी तभी हमारे अंदर उस लक्ष्य को पाने की उम्मीद बढ़ेगी और उसी के अनुसार हम काम करेंगे और जब चाह बढ़ेगी तभी हमें सफलता मिलेगी वरना हम सिर्फ लक्ष्य बनाते रह जाएंगे। इसलिए अपने अंदर लक्ष्य के प्रति तीव्र इच्छा जगाए की “हां मुझे यह पाना ही है” तब जाकर कहीं आप उस लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे।
आई होप इस Motivational Hindi Story For Success से आपको जीवन में सफल होने की एक अच्छी सीख मिली हो। ऐसी और भी मोटिवेशनल स्टोरीज फॉर सक्सेस पढ़ने के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।