रक्षाबंधन से जुड़ी एक प्रेरणादायक कहानी – Raksha Bandhan Story in Hindi

raksha bandhan story in hindi रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहिन के रिश्ते और उनके बीच के प्यार और भी ज्यादा मज़बूत और गहरा बनाता है। हर साल हम रक्षा बंधन का festival celebrate करते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग आज भी ये नहीं जानते की इस festival की शुरुवात कैसे हुई थी। वैसे तो इस त्यौहार की शुरुवात कैसे हुई उससे जुडी कई सारी कहानियां हैं.

लेकिन आज में आपके साथ रक्षा बंधन से जुडी एक motivational kahani share करूँगा। इस prernadayak rakshabandhan story के जरिये आप ये जान पाएंगे की रक्षा बंधन का festival सिर्फ राखी बंधवाना और अपनी बहन को gift देने तक ही सीमित नहीं है। इस कहानी के जरिये आप रक्षा के इस बंधन को बहुत अच्छी तरह से जान पाएंगे।

रक्षाबंधन से जुड़ी एक प्रेरणादायक कहानी – Raksha bandhan Story in Hindi

राखी की शुरुवात से जुड़ी एक मोटिवेशनल कहानी हमे महाभारत से मिलती है। ये कहानी motivating इसलिए है क्योंकि यह दर्शाती है कि भाई-बहन के बीच प्यार होने के लिए उनका सगा होना ही जरूरी नहीं है। कहानी ये है कि जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ कर रहे थे उस समय सभा में शिशुपाल भी मौजूद था। 

शिशुपाल, श्री कृष्ण का रिश्तेदार होने के साथ साथ उनका शत्रु(enemy) भी था। राजसूय यज्ञ में श्री कृष्ण  भी आमंत्रित(invited) थे। श्री कृष्णा के आने पर युधिष्ठिर उनका आदर सत्कार करने लगते हैं। शिशुपाल को ये बात पसंद नहीं आती और वो भरी सभा में श्री कृष्णा को बुरा भला बोलने लगता है।

शिशुपाल का ऐसा व्यव्हार देखकर, गुस्से में श्री कृष्णा अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध कर देते हैं, लेकिन सुदर्शन चक्र के वापिस आते समय श्री कृष्णा की छोटी उंगली थोड़ी कट जाती है और उसमे से खून निकलने लगता है। खून को रोकने के लिए उसी वक़्त द्रौपदी अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध देती है। जिसकी वजह से श्री कृष्णा बदले में द्रौपदी की आजीवन रक्षा करने का वचन देते हैं।

और यही वजह है की द्रौपदी के चीर हरण के वक़्त श्री कृष्णा द्रौपदी की रक्षा करते हैं। कहते हैं की जिस दिन ये घटना हुई थी, उस दिन श्रवण मास की पूर्णिमा थी। तभी से इसी दिन रक्षाबंधन मनाया जाता है और सभी बहनें ‘द्रौपदी’ की ही तरह अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और भाई भी ‘श्रीकृष्ण’ की तरह बहनों की रक्षा करने का वादा करते हैं। (Also Read- Ek Promise Aisa Bhi – Raksha Bandhan Speech)

सीख जो हमे इस रक्षाबंधन स्टोरी से मिलती है-

लेकिन आज के इस समय में हम लोग festivals और रिश्तों की importance को ignore करने लगे। किसी और को अपना भाई या बहिन मानना तो दूर हम अपने खुद के सगे भाई-बहन की respect तक नहीं करते। ये बात चाहे सुनने में कड़वी लगे लेकिन यही आज की generation की सच्चाई है। किसी फेस्टिवल को सिर्फ celebrate करना ही सब कुछ नहीं है बल्कि उस रिश्ते की importance को समझना और उस रिश्ते को निभाना ही रिश्तों को मज़बूती देता है।

किसी भी Festivals को सिर्फ गिफ्ट्स और सेल्फीज़ लेने के लिए celebrate ना करें बल्कि उनकी importance को भी समझें। अपने siblings की बात सुने उन्हें respect दें। आप भले ही दूसरों को अपना भाई या बहन ना माने लेकिन उनको भी उसी तरह respect दें जैसा आप अपने siblings को देते हैं।

माना की आज का समय श्री कृष्णा और द्रौपदी वाला नहीं है लेकिन हमारे रिश्ते वही हैं तो हमारी सोच भी वैसी ही होनी चाहिए। इस रक्षाबंधन आप भी श्रीकृष्ण जैसा भाई बनें। अपनी बहन की respect करें और साथ ही दूसरी लड़कियों की भी respect करें।

दोस्तों, आपको रक्षाबंधन से जुड़ी ये Raksha bandhan story in Hindi कैसी लगी, comment section में जरूर बताएं। इस कहानी को शेयर जरूर करें। ऐसी और भी बेहतरीन motivational stories पड़ने के लिए हमसे जुड़ें रहें।

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