ऊपरवाले से प्रार्थना कैसे करें- Best Motivational Kahani In Hindi

हम सभी भगवान से कुछ ना कुछ प्रार्थना करते ही रहते हैं। प्रार्थना, कभी हमारी खुशियों से जुड़ी होती है तो कभी हमारे दुखों से। हर इंसान जो भगवान को मानता है और जिसके अंदर आस्था होती है वो भगवान से प्रार्थना करता ही है। प्रार्थना करना हमे शक्ति देता है और अंदर से मजबूत बनाता है।

हर इंसान का भगवान से प्रार्थना करने का अपना तरीका होता है। जिसे जैसे सही लगता है वो उस तरह भगवान से प्रार्थना करता है। भगवान से कुछ चीज मांगना हमारे अंदर विश्वास को बढ़ाता है। प्रार्थना हमारे अंदर ये उम्मीद जगाती है की ऊपरवाला हमे मांगी हुई चीज जरूर देगा।

आज की कहानी भी ऊपरवाले की प्रार्थना से जुड़ी हुई है। ये छोटी सी मोटिवेशनल कहानी है समर्थ रामदास की जिन्हें संत रामदास के नाम से भी जाना जाता है। संत रामदास एक बहुत बड़े और प्रचलित महात्मा, साधु, कवि और राजनीतिज्ञ थे।

आज की Motivational Kahani in hindi संत रामदास के जीवन के किस्से से प्रेरित है। इस प्रेरणादायक कहानी को समझें और जाने की प्रार्थना का सही मतलब क्या होता है।

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ऊपरवाले से प्रार्थना कैसे करें- Motivational Kahani In Hindi

एक बार संत रामदास अपने शिष्यों के साथ मिलकर मंदिर में भजन कर रहे थे। भजन की समाप्ति के बाद हर कोई भगवान की तरफ हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और प्रार्थना करने लगे। शिष्यों के साथ संत रामदास भी भगवान से प्रार्थना कर रहे थे। लेकिन संत रामदास जब भी प्रार्थना करते थे तो उनके होंठ कभी हिलते नही थे और वो चुपचाप प्रार्थना करते थे।

एक शिष्य की नजर जब उनपर पड़ी तो उसने प्रार्थना करने के बाद अपने गुरु से पूछा, “हम सभी लोग जब प्रार्थना करते हैं तो हमारे होंठ हिलते हैं और हम भगवान से कुछ ना कुछ मांगते हैं या कहते हैं। लेकिन आप बिना होंठ हिलाए, बिना कुछ बोले कैसी प्रार्थना करते हैं, आपके होंठ क्यों नहीं हिलते।

आप बस पत्थर की एक मूर्ति की तरह भगवान के सामने खड़े हो जाते हैं। आप मन ही मन भगवान से क्या कहते रहते हैं? हमारे मन में जो विचार आते हैं उनका भाव भी हमारे चेहरे में नजर आ जाता है मगर आपके चेहरे से तो कुछ पता ही नही चलता।”

अपने शिष्य की बात सुनकर संत रामदास ने उन सभी से कहा, “एक बार में एक बहुत बड़े राजा के महल में ठहरा हुवा था। वापसी के समय वो राजा मुझे अपने महल के द्वार तक छोड़ने के लिए आया और जैसे ही हम द्वार से बाहर निकलने वाले थे तभी वहां एक मैले कुचैले कपड़े पहने, हाथ में कटोरा पकड़े हुवे एक भिखारी आ गया।

दिखने में एक दम कमजोर था उसके शरीर की स्तिथि भी दयनीय थी, उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो कई दिनों का भूखा हो। शरीर सूखकर कांटा हो चुका था। उसके चेहरे पर बस आंखें ही चमक रही थीं।”

उसे देखते ही राजा बोला, “कौन हो तुम ?, यहां क्यों आए हो ?, मुझसे क्या चाहते हो ?”
राजा के सवालों को सुनकर वो भिखारी बोला, “हे राजन, मैं जिस हाल में आपके द्वार पर खड़ा हूं अगर उसे देखकर भी आपको मेरी प्रार्थना का पता नही चल रहा है तो फिर मुझे कुछ कहने और बताने की जरूरत नहीं है। मैं आपके द्वार पर खड़ा हूं, मेरी स्तिथि को देख लो। मेरा होना ही मेरी प्रार्थना है।”

भिखारी की बात सुनकर राजा चुप हो गया। अपने सैनिकों को बुलाकर कर उसने उस भिखारी को खाना खिलाया, उसके नहाने धोने का प्रबंध किया, उसे नए कपड़े दिए और कुछ सोने की मुद्राएं देकर उसको विदा किया।

संत रामदास जी ने आगे अपने शिष्यों से कहा, “मुझे उस भिखारी की बात काफी अच्छी लगी। और वो बात मेरे मन में बैठ गई। उस दिन से मेरे लिए राजा मेरा भगवान है। मैंने उससे कुछ कहना और मांगना छोड़ दिया।

मैं भगवान के द्वार पर जाकर खड़ा हो जाता हूं। हाथ जोड़ता हूं और बस चुप रहता हूं। मैं मानता हूं की वो देख लेंगे। मैं क्या कहूं? और मुझे क्या ही कहना चाहिए? अगर मेरी स्थिति कुछ नहीं कह सकती, तो मेरे शब्द क्या कह पाएंगे?”

अगर ऊपरवाला मेरी स्थिति नहीं समझ सकता, तो वो मेरे शब्दों को क्या समझेगा ? मेरा उसके द्वार के आगे खड़ा होना ही काफी है, उन्हें जो देना होगा वो देंगे, मुझे हर बार कुछ कहने या मांगने की जरूरत नहीं है। मेरा उनके सामने होना ही मेरी प्रार्थना है।

संत रामदास की इस बात से उनके शिष्य जिंदगी का एक महत्वपूर्ण सबक सीख चुके थे।

सीख जो हमे इस प्रेरणादायक मोटिवेशनल कहानी से मिलती है –

हम जब भी मंदिर जाते हैं या कहीं भी भगवान की मूर्ति या फोटो देखते हैं तो हमेशा उनसे कुछ ना कुछ मांगने लग जाते हैं। हमें ये लगता है की जब तक हम भगवान से प्रार्थना नही करेंगे तब तक वो हमे कुछ देगा नही।

ऐसा सोचना शायद गलत होगा क्योंकि भगवान वो है जो सब कुछ जानता है। उसके आगे हाथ जोड़ कर खड़ा होना ही काफी है। आपके कर्मों के हिसाब से और आपकी जरूरत के हिसाब से वो आपको खुद ही वो सब दे देगा जो आपके लिए जरूरी है।

हर समय भगवान के द्वार पर खड़े होकर कुछ मांगना जरूरी नहीं है। भगवान आपको जो कुछ भी देगा वो सिर्फ आपकी प्रार्थना सुनकर नही देगा बल्कि आपकी नियत, आपकी ईमानदारी, आपकी मेहनत और आपके समय के अनुसार ही आपको देगा। इसलिए हमेशा कुछ मांगते मत रहो। मन में ऊपरवाले को याद करो और सब कुछ उस पर छोड़ दो।

आई होप इस best motivational story In hindi से आपको कुछ अच्छा सीखने को मिला हो। ऐसी ही और भी हिंदी मोटिवेशनल कहानियां पढ़ने के लिए इस ब्लॉग को फॉलो जरूर करें।

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