दोस्तों, जादुई कहानियां और परियों की कहानियां हम सभी को अच्छी लगती है। ये कहानियां हमे एक ऐसी दुनिया का एहसास कराती हैं, जो अगर में सच में होती तो कितनी दिलचस्प होती। आज की परियों की कहानी भी कुछ ऐसी ही है इस कहानी को एक बार जरूर पढ़ें।
राजा और परियों का आशीर्वाद । New Pariyon Ki Kahani

सालों पहले मृणाल नाम का एक राज्य था। जिसमें वायु नाम का राजा शासन करता था। राजा बहुत नेक दिल और उच्च विचार वाला व्यक्ति था। वह सबके साथ समान व्यवहार करता, चाहे वह कोई निम्न जाति का व्यक्ति हो या फिर कोई उच्च जाति का। हर छोटे-बड़े त्योहारों में सोने के सिक्के दान दिया करता। दान लेने के लिए दूर-दूर से लोग राजा के महल में पहुंचा करते थे। राजा बहुत दयालु था।
एक बार त्योहार में राजा गरीबों को दान बांट रहा था तो दूर बैठी एक सुंदर सी परी राजा को देख रही थी। अंत में जब राजा ने दान बांट लिया तो उस परी ने एक बुढ़िया का वेश धारण कर लिया और राजा के पास दान लेने आई। लेकिन तब तक राजा का दान खत्म हो चुका था। राजा ने दान स्वरूप उस बुढ़िया को अपने हाथ में पहने सोने के कड़े उतार कर दे दिये।
उस बुढ़िया ने राजा के सर पर हाथ रखकर उसे आशीर्वाद दिया। जिससे राजा अत्यंत खुश हुआ। एक दिन राजा अपने भवन के बगीचे में बैठा हुआ था। वह सोच रहा था, मेरे पास तो सब कुछ है, माता- पिता, बेटी, मेरा ख्याल रखने वाली मेरी धर्मपत्नी। बस कमी है तो एक पुत्र की। एक पुत्र होता तो मैं अपने वंश आगे बढ़ा पाता।
पता नहीं भगवान ने मुझे इस खुशी से क्यों वंचित रखा। वह अपनी सोच में डूबा हुआ था कि कहीं से उसकी गोद में एक सेब आकर गिरा। उसने इधर उधर देखा कि यहां मेरी गोद में सेब कहां से आया होगा क्योंकि जिस बगीचे में वह बैठा हुआ था वहां तो दूर-दूर तक कोई भी सेब का पेड़ नजर नहीं आ रहा था। तो ये सेब यहां कहां से आया होगा?
तभी राजा को दूर बहुत सारी परियां दिखी। उसमें से एक भुरी आंख वाली परी राजा के सामने आई और उसने राजा को बताया की जिस बुढ़िया को राजा ने अपने सोने के कड़े दान दिए थे ,वो परी वही है।
उस परी ने राजा से कहा, “तुम एक साफ दिल के इंसान हो और मुझे पता है कि तुम्हें पुत्र प्राप्ति की इच्छा है। यह सेब मैंने ही तुम्हें दिया है। इसे तुम अपनी पत्नी को खिलाना। जिससे 9 महीने बाद तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। लेकिन मेरी एक बात याद रखना तुम्हारे भाग्य में पुत्र रत्न का सुख नहीं है। परंतु तुम बहुत दान करते हो। सबकी सहायता के लिए आगे रहते हो इसलिए मैं तुम्हें इस सुख से वंचित नहीं रखना चाहती हूं। तुम्हारा पुत्र केवल 25 वर्षों तक ही जीवित रह पाएगा।”
राजा परी की बात सुनकर दुखी हो गया और बोला, ” ऐसे सुख का क्या फायदा, मुझे पुत्र मिलेगा तो भी कुछ पलों के लिए। मैं अपना बुढ़ापा किसके सहारे काटूंगा। कृपया इसका कोई उपाय बताइए ताकि मेरा पुत्र जीवित रह सके।”
राजा ने बहुत उदास स्वर में परी से फिर से कहा,”मुझे उपाय बताने का कष्ट करें।”
राजा की पीढ़ा देख परी बोली,”जब तुम्हारे पुत्र की 25 वर्षों तक जीवित रहने के बाद उसकी मृत्यु होगी तो तब तुम उसे एक बड़े से संदूक में रख कर, उस संदूक के चारों ओर पानी के घड़े रखकर, उस संदूक को किसी को बिना बताये बगीचे में कहीं रख देना।” इतना कहकर वो परी वहां से चली गई।
राजा भी उदास मन लेकर अपने महल में आ गया। उसने यह सब बातें अपनी धर्मपत्नी को बताई। पुत्र प्राप्ति की बात सुनकर उसकी पत्नी ने वो सेब खा लिया। 9 माह बाद राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई। राजा अपने पुत्र को देखकर इतना खुश था कि वो ये बात भूल गया की उसके पुत्र का जीवन काल सिर्फ 25 वर्षों का ही है।
उसने अपने महल में भव्य आयोजन रखा। जश्न में शामिल होने के लिए दूर दूर से मेहमान बुलाए गए। खुशी में डूबे राजा ने अपने पुत्र का नाम शिवा रखा। धीरे-धीरे समय बीतता गया राजा बूढ़ा हो गया और राजकुमार शिवा पच्चीस साल के हो गए। राजकुमार काफी अच्छे स्वभाव के थे। उनके लिए दूर-दूर से राजकुमारियों के विवाह के प्रस्ताव आने लगे.
राजा ने अपने बेटे का विवाह दूर देश की राजकुमारी से करा दिया। जो की सर्वगुण संपन्न थी। बहुत बुद्धिमान थी। उसका नाम सुनैना था। एक दिन राजा को ध्यान आया की उसके पुत्र को कुछ ही दिनों में 25 वर्ष पूरे होने वाले है। राजा चिंतित हो गया। उसे परी की बात याद आ गई और कुछ दिन बाद अचानक उसके बेटे की मृत्यु हो गई।
परी के कहे अनुसार राजा ने एक बड़े संदूक में अपने बेटे को रखा, उसके चारों ओर पानी से भरे घड़े रखे और उसे बगीचे के एक कोने में रखवा दिया। खुशियों से भरा महल कुछ ही पल में सनसनी से भर गया। राजा का मन भी किसी काम में नहीं लगता। वह दिन रात अपने बेटे को याद करते रहते।
समय बीता और शिवा की मृत्यु को 2 साल हो गए। एक दिन महल में एक आदमी आया जो की दिखने में बहुत गरीब था। उसने कुछ खाने को मांगा।
सुनैना ने उसे भोजन कराया। कुछ वस्त्र दिए। सोने के सिक्के दिए। जब वो गरीब व्यक्ति महल से जा रहा था तो सुनैना की नजर उस आदमी की उंगली पर पड़ी। जिसमें उसने सोने की अंगूठी पहनी थी और वह अंगूठी हुबहू वैसी ही थी जो उसके पति शिवा पहना करते थे।
सुनैना ने उस आदमी को आवाज दी और पूछा, “यह अंगूठी तुम्हें कहां से मिली? यह तो मेरे पति की है जिन्हें संदूक में बंद करके बगीचे में रखा है। उस आदमी ने डर से सारी बातें बताई और बोला, “ये मुझे उसी संदूक के पास मिली।”
सुनैना ने यह सुनकर वहां जाने की जिद करी। उस आदमी ने कहा वह बगीचा अब घने जंगल में बदल गया है। मैं वहां दोबारा नहीं जाना चाहता हूं, लेकिन मैं आपको दूर तक छोड़ जरूर दूंगा। वह व्यक्ति सुनैना को वहां छोड़ कर आ गया। सुनैना ने देखा की उस संदूक के पास बहुत सारी परियां हैं।
वह परियां जब भी कोई मटका खोलती हैं तो वह मटका उसके पति का रूप ले लेता है और उसके बाद वह परियां उसके पति को अपने साथ आसमान की ओर उड़ा ले जाती है। सुनैना ने देखा की अब वहां कुछ ही मटके बचे हैं। तीन-चार दिन तक भूखे प्यासे सुनैना यह देखती रही। एक दिन जब परियां वहां नहीं थी तो सुनैना ने पास जाकर वह संदूक खोला।
संदूक के अंदर राजकुमार जीवित था। वह अपने पति को जीवित देख कर बहुत खुश हुई। वह उससे घर चलने की जिद करने लगी। शिवा ने कहा, “मैं इस धरती पर परियों के आशीर्वाद से आया हूं और मैं इस तरह नहीं जा सकता।” तुम एक काम करो। इसे पहले की पारियां सारे मटके खोल दें। तुम एक मटका ले जाओ और घर में कहीं छुपा देना।
जिससे कुछ समय बाद तुम्हारा एक जादुई पुत्र होगा। लेकिन उस पुत्र की आयु भी सिर्फ 25 साल ही होगी इसलिए पुत्र जन्म के बाद तुम एक जश्न का आयोजन करना। जिसमें तुम परियों को भी बुलाना। परियां उस बच्चे को देखकर समझ जाएंगी की वो बच्चा तुम्हारा नही है। वो उसे तुमसे वापिस मांगेंगी तब बदले में तुम उनसे उनकी जादुई शक्तियां मांगना।
परियों के लिए उनका जादू सबसे प्रिय होता है। उसके बिना उनमें कोई शक्ति नहीं रहती। अगर वो अपना जादू तुम्हें ना दें तो तुम आशीर्वाद के रूप में मुझे जीवित करने की मांग रख देना।
शिवा की बात मानकर, सुनैना वहां से एक मटका लेकर चली गई। महल में पहुंचकर उसने सारी बातें अपने सास-ससुर को बताई।
उसने मटके को घर में छिपा दिया। 9 महीने बाद उसे पुत्र की प्राप्ति हुई और महल में शानदार दावत रखी गई। परियों को जब ये सब पता चला तो वो भी महल में आ गई और सुनैना से बच्चा मांगने लगी।
शिवा के कहे अनुसार, सुनैना ने बच्चे के बदले परियों से उनका जादू देने को कहा। परियों को जादू प्रिय था तो उन्हें जादू के बदले कुछ और मांगने को बोला।
तब सुनैना ने कहा, “मुझे मेरे पति का जीवनदान चाहिए। मैं उनके साथ अपना पूरा जीवन व्यतीत करना चाहती हूं।”
परियों ने सुनैना की बात मान ली और उसके पति को जीवित कर दिया। बदले में परियां वो बच्चा ले गई। कुछ समय बाद सुनैना फिर से गर्भवती हुई और उसने एक सुंदर से राजकुमार को जन्म दिया।
इस परियों की कहानी की सीख है कि हमें हर किसी के साथ विनम्रता दिखानी चाहिए। हमारे अंदर दया की भावना होनी चाहिए। इस कहानी में परियां, राजा, रानी व उनके बच्चे सब दयालु थे इसलिए उनके साथ अच्छा ही हुआ है। आप भी दयालु बनने की कोशिश कीजिए। आपका भी अच्छा ही होगा।
आपको ये New Pariyon Ki Kahani कैसी लगी कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं.