आज के इस Rakshabandhan Essay In Hindi के जरिए हम आपको रक्षाबंधन के महत्व, रक्षा बंधन से जुड़ी कहानी और इस त्योहार की उपयोगिता के बारे में बताएंगे। इस रक्षाबंधन पर निबंध 2023 को एक बार जरूर पढ़ें।
(Raksha Bandhan Essay in Hindi By Divya Mewari) पहले तो आप सभी प्रिय जनों को इस साल 2023 की रक्षाबंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएं। आशा करती हूं कि आप सभी प्रिय जन रक्षाबंधन त्यौहार को बहुत धूमधाम से मनाएं और सभी बहनों की ओर से कहना चाहूंगी कि उनके भाइयों की उम्र लंबी हो, जीवन में तरक्की हो और उनके जीवन में खुशियां ही खुशियां आएं।

1- रक्षा बंधन कब है (Raksha Bandhan 2023)
इस वर्ष रक्षाबंधन 30 अगस्त, 2023 को मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन हर वर्ष सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
2- रक्षाबंधन का महत्व (Importance of Raksha Bandhan)
रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार की एक डोर है। रक्षा का अर्थ है किसी मुसीबत से बचाना और बंधन एक डोर है, आपस का प्यार है, जो भाई बहन के प्यार को बांधे रखती है। उस प्यार को दिखाने का एक जरिया है, रक्षाबंधन।
रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक प्रिय त्यौहार है। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र या फिर राखी बाधती है और बदले में भाई बहन को उपहार देता है, साथ-साथ वचन भी देता है रक्षा करने का, अच्छी बुरी हर परिस्थिति में अपनी बहन का साथ देने का। भाई अपने बहन के लिए हमेशा आगे खड़ा रहता है। किसी भी परिस्थिति में एक भाई अपनी बहन का साथ नहीं छोड़ता।
3- रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है।
हर त्योहार के आने के साथ ही ये सवाल भी हमारे मन में आता है की वो त्योहार मनाया क्यों जाता है। उस त्योहार को मनाने के पीछे का कारण क्या है। हिंदू धर्म के सभी त्योहारों को मनाने के पीछे कोई कोई ना कोई धार्मिक वजह रही है। आइए जानते हैं की हम रक्षाबंधन का त्योहार क्यों मनाते हैं।
4- रक्षाबंधन से जुड़ी कहानी (Raksha Bandhan Story in Hindi)
रक्षाबंधन से जुड़ी कई सारी कहानियां हैं उन्ही कहानियों में से जुड़ी एक कहानी भगवान श्री कृष्ण और द्रौपदी की। ये कहानी उस समय की है जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ कर रहे थे। यज्ञ में शिशुपाल भी मौजूद था। शिशुपाल श्री कृष्ण की बुआ का लड़का था और रिश्ते में पांडवों, कौरवों का भाई था।
शिशुपाल बहुत अहंकारी था और वो हमेशा श्री कृष्ण को नीचा दिखाने की कोशिश करता था। यज्ञ के दौरान शिशुपाल ने श्री कृष्ण का पूरी सभा के सामने बहुत अपमान कर दिया। जिसकी वजह से श्रीकृष्ण को गुस्सा आ गया। श्री कृष्ण ने शिशुपाल की माता यानी अपनी बुआ को वचन दिया था की वो शिशुपाल की सौ गलतियों को माफ कर देंगे लेकिन जब शिशुपाल 101 वीं गलती करेगा तो उसे दंड भुगतना पड़ेगा।
अपने अहम में डूबा शिशुपाल ये बात भूल गया और कृष्ण के अपमान करने के साथ ही उसकी गलतियां सौ से ज्यादा हो गई। गुस्से में श्री कृष्ण ने अपना उंगली से सुदर्शन चक्र निकाला और शिशुपाल का सर उसके शरीर से अलग कर दिया। सुदर्शन चक्र जब वापिस उनकी छोटी उंगली में आया तो लौटते हुए सुदर्शन चक्र से भगवान कृष्ण की छोटी उंगली थोड़ी सी कट गई और रक्त बहने लगा।
द्रौपदी ने जैसे ही यह देखा तो उसने रक्त रोकने ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी उंगली में बांध दिया। उस वक्त भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया की इस कपड़े एक एक धागे का कर्ज वो चुकाएंगे और हमेशा उसकी रक्षा करेंगे। द्रौपदी चीर हरण के समय उन्होंने अपना वचन निभाया।
जिस दिन द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की उंगली में साड़ी का पल्लू बांधा था वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। इसी दिन हम हर साल रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं।
5- रक्षाबंधन पर प्रेरणादायक निबंध | Rakshabandhan Essay In Hindi
रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई के लिए सुंदर-सुंदर राखियां, मिठाई, फल-फूल आदि कई तरह की चीजें लेकर आती है। इन सभी चीजों को एक सुंदर थाली में सजाती है। फिर उस थाली में दिया जलाकर अपने भाई की आरती उतारती है। उसे तिलक लगाती है और फिर भाई की कलाई पर राखी और रक्षासूत्र बाधती है।
उसे मिठाई खिलाती है, साथ ही भगवान से कामना करती है कि उसके भाई की दीर्घायु हो और उसकी तरक्की हो। फिर भाई अपनी बहन की आजीवन सुरक्षा और साथ देने का वचन देता है। साथ एक भाई अपनी बहन को पैसे, चॉकलेट, या कुछ भी कीमती चीज, उपहार स्वरूप देता है।
रक्षा बंधन रिश्तो में अपनापन लाता है। भाई बहन के रिश्ते में कभी दूरियां आ भी जाए तो यह बंधन उस दूरी को मिटा देता है। भाई अपनी बहन से चाहे कितना भी दूर हो, वह इस त्योहार पर अपनी बहन से मिलने जरूर आता है और जो बहन अपने भाई से दूर रहती है वह भी इस दिन अपने भाई से मिलने जरूर जाती है।
रक्षाबंधन हमें भाई बहिन के अटूट रिश्ते को निभाना सिखाता है। रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। एक दूसरे से किए हुए वादे निभाने का प्रतीक है। एक अटूट प्रेम का त्यौहार है। ऐसे त्यौहार हमारी संस्कृति व संस्कार हैं। जो हम कभी नहीं भुला सकते हैं। रक्षाबंधन का पर्व एक संदेश है जो हमें अपने भाई या बहिन की भावनाओं की कद्र करना सिखाता है।
राखी के दिन शादीशुदा बहन ने अपने ससुराल से मायके सिर्फ अपने भाई के लिए आती है। चाहे बहन कहीं भी क्यों ना हो वह अपने भाई की कलाई में रक्षा का धागा बांधने अवश्य आती है। यही प्यार व स्नेह उसे अपने मायके खींच लाता है। माता पिता हमेशा तो अपनी बेटी का साथ नहीं दे पाते पर एक भाई ही होता है जो अपनी बहन के लिए दुनिया से लड़ जाता है।
किसी कारणवश अगर बहन भाई के पास नहीं आ पाती है तो वह अपनी राखी को हफ्तों पहले ही भाई के पास पहुंचाने की कोशिश करती है ताकि भाई के पास उसकी राखी की डोर सकुशल पहुंच जाए और उसे बहन का प्यार महसूस कराए। राखी का त्यौहार शिव के पावन पर्व सावन में आता है।
राखी के दिन जगह-जगह मेले व नुमाइश लगती है। सावन में सावन की झड़ी यानी की बारिश की फुहारों के बीच ये प्यार का पर्व आता है। जहां हर तरफ हरियाली और खुशनुमा माहौल होता है। सावन का महीना प्रत्येक बहन के लिए यादगार महीना होता है। जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार होता है।
राखी के दिन यह भी मान्यता है कि जब सभी देवता, तारकासुर का वध करके भोलेनाथ और माता पार्वती के पास जाते हैं तथा उनसे वरदान मांगते हैं कि, “हे, भोलेनाथ हमें कोई परेशान ना करे और ना ही कोई भी हमारा सिहासन छीन सके। हम जन्मों तक आपकी आराधना करें तथा आपको अपने मन में बसाए रखें।”
तब माता पार्वती बड़े स्नेह के साथ इंद्र के हाथ में तथा अन्य देवताओं के हाथ में रक्षा की डोर बांधती है तब सभी देवी देवता माता पार्वती को वचन देते हैं कि वे उनकी रक्षा की डोर का मन व कर्मों से रक्षा करेंगे और मर्यादा से इसका पालन करेंगे।
6- आज के समय में रक्षाबंधन का महत्त्व
आज इस आधुनिक समय में रक्षाबंधन का अर्थ पूरी तरह से बदलता जा रहा है। शहरों में बसने के कारण या समय की कमी के कारण रक्षाबंधन की मिठास कम हो रही है। आपस के रिश्तों को तोड़ रही है। रक्षाबंधन आज अमीरी और गरीबी के निशाने पर आ पहुंचा है। आज के युग में बहन के लिए रक्षाबंधन सिर्फ उपहार लेने का ही त्यौहार रह गया है।
उसे अपने भाई से महंगे महंगे उपहार लेने की इच्छा होने लगी है। आधुनिकता और आधुनिक मानसिकता भाई बहन के रिश्ते को कमजोर कर रही है। जहां हम रक्षाबंधन को एक डोर समझते हैं। वही इस दौर में आज सोने चांदी के ब्रेसलेट ने इसका रूप में ले लिया है।
आधुनिकता से भरी हुई दुनिया के पीछे ना भागकर अपने रिश्तो को मजबूत बनाएं। राखी की एक डोर ही रिश्ते को कायम रख सकती है तो फिर महंगी महंगी राखी लेने का क्या मतलब है। मतलब है तो सिर्फ एक अच्छी सोच का। पुराने जमाने से ही एक डोर से ही तो प्यार दिखाया जा रहा है, ना कि सोने चांदी की राखी से।
आज भागदौड़ भरी जिंदगी में बहने अपने भाइयों को फोन के जरिए रखी भेज रही हैं। जो की गलत है। राखी जैसे त्यौहार का मतलब ही क्या है जब तक वो हाथ में ना बांधी जाए। दिखावा इतना हो गया है की भाई यह सोचने लगा है कि बहन ने राखी बांधी तो उसे उपहार में क्या दूंगा।
इस वजह से वह राखी में अपनी बहन के सामने में आने से कतराता है। यह अमीरी, गरीबी को दर्शाता है। जो हमारे हिंदुत्व समाज के संस्कार नहीं हैं। कृपया राखी को अमीरी और गरीबी में ना तोले। महंगे उपहार की मांग ना रखें। बस अपने भाई से यही बोलें कि, “तू हमेशा जीवन भर मेरा साथ दे और कुछ नहीं चाहिए।”
बहनों को भी महंगी राखी लेने के बजाए, एक डोर से अपने अच्छे रिश्ते को सजाने की कोशिश करनी चाहिए। महंगी महंगी रखी बंधना बस सोशल मीडिया का दिखावा है। सादगी से अपने पवित्र त्यौहार को मनाने की कोशिश करें। अपने प्रेम को संजो कर रखें ताकि हिंदुत्व की परंपरा जीवित रहे और यह त्यौहार हमेशा सादगी से मनाए। जिसमें ना कोई दिखावा हो, ना कोई लड़ना झगड़ना हो, ना ज्यादा अपेक्षाएं हों।
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Ans- 2023 में रक्षाबंधन 30 अगस्त (बुधवार) के दिन है।