धर्मपाल गुलाटी की संघर्ष से सफलता की कहानी – MDH Masala Owner Success Story

MDH Owner Success Story – आज की इस सफलता की सच्ची कहानी में हम आपको भारतीय मसालों की famous company MDH मसाले के मालिक लेट धर्मपाल गुलाटी जी की सफलता की कहानी बताने वाले हों। हालांकि MDH masala के owner Dharampal Gulati जी अब हमारे बीच नहीं हैं।

3 December, 2020 को धर्मपाल गुलाटी जी का स्वर्गवास हो गया। लेकिन उनकी सफलता की प्रेरणादायक कहानी हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी सीख है। Dharampal Gulati biography in hindi आपको उनके जीवन के संघर्ष और उनकी मेहनत से मिली सफलता के बारे में रुबरू कराएगी।

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MDH Owner Success Story in Hindi

ये struggle to success story MDH मसाले किंग महाशय धर्मपाल गुलाटी की। जिन्होंने जिंदगी के कई उतार चढ़ाव के बाद भी हार नहीं मानी। MDH मसालों से आज हर कोई परिचित है, टेलीविज़न में MDH मसालों के Ads में एक बूढ़े व्यक्ति को एक्टिंग करते हुए हम सभी ने देखा है, ये बूढ़े व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि खुद MDH के मालिक धर्मपाल गुलाटी हैं।

जो कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद इस मुकाम पर पहुंचे। आपको बता कि MDH मसाले के फाउंडर और सीईओ धर्मपाल गुलाटी 2020 तक भारत में FMCG में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सीईओ थे जिनकी सैलरी 25 करोड़ से अधिक थी। लेकिन हाल ही में 98 साल की उम्र में 3 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

Dharmpal Gulati Ka Jivan Parichay:-

धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को ब्रिटिश कालीन शासन में पकिस्तान के सियालकोट में हुआ था जो उस समय भारत का हिस्सा था। उनका मन बचपन से ही पढ़ाई में नहीं लगता था इसीलिए उन्होंने पांचवीं क्लास के बाद स्कूल छोड़ दिया। उनके पिता महाशय चुन्नीलाल गुलाटी ने साल 1919 में सियालकोट में MAHASHIAN DI HATTI (MDH) नाम से मसालों की दुकान खोली जो बहुत कम समय में बहुत ज्यादा Famous हो गयी। उनके पिता अपने हाथों से ही मिर्च मसालों को कूटते थे इसीलिए उनको सब ‘डेगी मिर्च वाले’ के नाम से जानते थे। 

धर्मपाल गुलाटी के पढ़ाई छोड़ देने से उनके पिता को बहुत दुःख हुआ कि बिना पढ़ाई के मेरा बेटा अपनी जिंदगी में क्या करेगा और इसी चिंता की वजह से धर्मपाल गुलाटी के पिता ने उन्हें एक Carpenter के वहां लकड़ी का काम सीखने के लिए भेजा लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा और 8 महीने वहां काम करने के बाद उन्होंने काम छोड़ दिया।

फिर उन्होंने कपड़ो की दुकान में काम किया, उसके बाद हार्डवेयर की दुकान में काम किया लेकिन उनका मन कहीं नहीं लगा और उन्होंने सभी जगह से काम छोड़ दिया और अंत में उन्होंने अपने पारिवारिक मसालों के काम में अपने पिता का हाथ बंटाने का फैसला लिया। साल 1947 में जब भारत और पाकिस्तान के अलग होने के बाद ऐसी स्थिति आ गयी कि उनके परिवार को अपना सब कुछ छोड़ के भारत आना पड़ा।

और जैसे-तैसे दंगो से बचकर वे 7 सितम्बर 1947 को अमृतसर में एक रिफ्यूजी कैंप में पहुंचे जहाँ कुछ महीने रहने के बाद वो 27 सितम्बर 1947 को नौकरी की तलाश में दिल्ली को रवाना हो गए. पाकिस्तान से भारत आते समय उनके पास सिर्फ 1500 रुपए थे। उन 1500 रुपए में से उन्होंने 650 रुपए का तांगा ख़रीदा और न्यू दिल्ली से लेकर क़ुतुब रोड तक 2 रुपए प्रति व्यक्ति किराए पर तांगा चलाना शुरू किया।

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लेकिन इतने कम रुपए में उनके परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पता था और हालात ऐसे थे कि कभी-कभी तो उन्हें 2-3 दिन तक कोई Customer ही नहीं मिलता। और आखिर दो महीने बाद उन्होंने ये काम भी बंद कर दिया। अपना तांगा और घोड़ा बेचकर उन्होंने अजमल खान रोड, करोलबाग में एक छोटा सा लकड़ी का खोखा खोला, जिसका नाम उन्होंने MAHASHIAN DI HATTI (MDH) रखा और अपने हाथों से मिर्च मसालों को कूटने और बेचने का काम शुरू किया।

उनके मसालों की Quality को देखते हुए बहुत कम समय में उनका नाम करोलबाग की गलियों में गूँजने लगा। काम को बढ़ते हुए देख साल 1953 में उन्होंने चांदनी चौक में एक दुकान किराये में ली। और साल 1959 में उन्होंने दिल्ली के कीर्तिनगर में MAHASHIAN DI HATTI (MDH) नाम से फैक्ट्री शुरू की और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा और सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए.

आज हर रसोईघर में MDH मसालों की खुशबू महकती है और तभी से धर्मपाल गुलाटी का नाम ‘मसाले किंग’ के नाम से मशहूर हो गया। आज MDH मसाले की गिनती भारत के बड़े मसालों के ब्रांड के साथ होती हैं और MDH सिर्फ मसाले का नाम नहीं खुद में एक ब्रांड है। आज MDH 100 से अधिक देशों में 60 से ज्यादा मसालों को एक्सपोर्ट करता है। 

प्रेरणादायक सीख जो हमें MDH owner success story in hindi से मिलती है:-

कहते है कि मेहनत, लगन और कुछ करने का जूनून हो तो बड़ी से बड़ी बाधा भी आपको रोक नहीं सकती और बड़ी से बड़ी लहरों को भी आप पार कर देतें हैं और जिस इंसान ने पांचवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ के इस तरह की कामयाबी को हासिल किया उनके लिए कोई भी शब्द छोटा है। सच्ची मेहनत और लगन हर किसी इंसान को कामयाबी जरूर दिलाती है इसलिए कभी मेहनत करने से पीछे ना हटें और जो काम आप को आता हो उसे हमेसा पूरी मेहनत के साथ करें। सफलता आपको जरूर मिलेगी।

दोस्तों आपको Mahashay Dharampal Gulati जी की सफलता की सच्ची कहानी कैसी लगी Comment Section में जरूर बताएं। ऐसे ही संघर्ष से लेकर सफलता तक की कहानियों से प्रेरणा लेने और जीवन में सफलता पाने के लिए हमसे जुड़े रहें।

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