मानसिक तनाव क्या होता है? Mental Stress से खुद को कैसे दूर करें।

आज की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसे मानसिक तनाव ना हो। बच्चा, बूढ़ा, युवा, हर किसी में किसी ना किसी वजह से मानसिक तनाव देखने को मिल जाता है। रोजमर्रा के दिनों में थोड़ा बहुत तनाव या मानसिक तनाव होना स्वाभाविक है लेकिन जब यही तनाव ज्यादा होने लगता है तो हम डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।

कई लोगों में ऐसी आदत होती है की वो हर छोटी से छोटी बात को बहुत ज्यादा सीरियसली ले लेते हैं, उसके बारे में सोचते रहते हैं। कभी अगर उनके साथ कुछ बुरा हो जाता है तो वो बार बार उसी चीज के बारे में सोचते रहते हैं। बुरी चीजों के बारे में बार बार सोचने से मानसिक तनाव ज्यादा होता है।

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मानसिक तनाव (Mental Stress) अक्सर उन्हीं लोगों को ज्यादा होता है जो नेगेटिव सोचते हैं, जो बिना वजह ही ज्यादा चिंता करते हैं, ज्यादा टाइम अकेले रहते हैं, किसी से ज्यादा बाते नही करते या अपनी परेशानियों को किसी के साथ शेयर नही करते।

आइए इस तनाव के बारे में थोड़ा गहराई से जानते हैं की आंखिर तनाव क्या है?

तनाव या स्ट्रेस वो स्तिथि है जब कोई भी नकारात्मक विचार हमारे दिमाग में हावी हो जाता है, किसी खुशनुमा माहौल में भी हम खुश नहीं रहते। चेहरे पर हमेशा उदासी ही रहती है। हर वक्त हम किसी चीज के बारे में सोचते रहते हैं। हमारा दिमाग हमेशा बुरा ही सोचता है। सकारात्मकता भरी चीजें भी हमें नुकसानदायक लगने लगती हैं। मन में हमेसा कुछ गलत होने डर लगा रहता है। यही सब चीजें जब बढ़ने लगती है तो ये मानसिक तनाव का कारण बन जाती हैं।

मानसिक तनाव के अलग-अलग लक्षण होते हैं हर किसी व्यक्ति में तनाव अलग तरीके से दिखाई देता है। जिसके कुछ उदाहरण निम्न हैं:

1- माइग्रेशन या सर दर्द का होना
2- निरंतर कमजोरी की ओर जाना
3- उदासीन रहना
4- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना
5- किसी भी कार्य में मन का ना लगना
6- घंटों सोच में बैठे रहना
7- दिमाग में बुरे ख्याल आना
8- किसी से बात करने का मन ना करना
9- अकेले रहना
10- अपने आप में ही बड़बड़ाते रहना

मानसिक तनाव होने के कारण?

अकेलापन –

अकेलापन मानसिक तनाव का बहुत बड़ा कारण है। आज इतनी सारी सुविधाएं हैं कि हर कोई अकेले रहना ही ठीक समझता है। अकेला व्यक्ति हमेशा ये सोचता है कि मैं अकेले सब कुछ कर सकता हूं, आज की युवा पीढ़ी को सिखाया भी यही जा रहा है कि आप अकेले ही काफी हैं, लेकिन हमें साथ की आवश्यकता होती ही है। अगर हमारे साथ कोई होगा नही तो हम अपनी बातें किसके साथ शेयर करेंगे। अपनी परेशानियों किसे बताएंगे।

किसके साथ अपनी खुशियां बांटेंगे। शुरुवात में अकेलापन अच्छा लगता है। हम सोचते हैं की कोई हमे डिस्टर्ब करने वाला नही है लेकिन ये अकेलापन धीरे धीरे हमें अंदर से कमजोर बना देता है। फिर एक स्तिथि ऐसी आ जाती है जब ये अकेलापन मानसिक तनाव में बदल जाता है। इसलिए लोगों के साथ घुले मिलें। नए दोस्त बनाएं। परिवार से जुड़े रहें। मन में ये सोच कर ना बैठे की अकेला रहना ही खुशी है।

युवाओं में मानसिक तनाव का कारण-

युवाओं में मानसिक तनाव की स्तिथि सबसे ज्यादा पाई जाती है। युवाओं में इस तनाव के कई सारे कारण भी है। जैसे पढ़ाई की चिंता, नौकरी की चिंता, घर की चिंता, प्यार कि चिंता, शादी की चिंता, अच्छा कैरियर बनाने को चिंता, सोशल मीडिया में पॉपुलर ना होने की चिंता। इन सब में सबसे ऊपर हैं प्यार, पढ़ाई और रोजगार। मानसिक तनाव के कारण युवा वर्ग या तो आत्महत्या के बारे में सोचता है या फिर नशे को अपना साथी बना लेता है।

सभी जानते हैं कि बेरोजगारी कितनी है। पढ़े-लिखे युवा नौकरी के लिए भटकते हैं, ना मिलने पर तनाव होने लगता है। उसी तरह पढ़ाई में एक दूसरे से आगे निकले का कंपीटिशन इतना हो गया है की बच्चों में पढ़ाई को लेकर बहुत प्रेशर रहता है जिसकी वजह से वो तनाव में रहते हैं। रही बात प्यार की तो आज के समय में सब एक दूसरे के साथ टाइमपास करने में लगे हैं लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो धोखा मिलने पर या ब्रेकअप होने पर उस स्तिथि से खुद को निकाल नही पाते, जिसकी वजह से वो हमेशा मेंटल स्ट्रेस में रहते हैं।

इन सब के अलावा आज का युवा वर्ग नशे का आदि हो गया। छोटे छोटे बच्चे भी नशीली चीज़ों का सेवन करने लगे हैं। जब उन्हें नशा करने को कुछ नही मिलता तो वो पागलों की तरह इधर उधर घूमने लगते हैं। एक सामान्य व्यक्ति और एक नशेड़ी व्यक्ति को आप देखकर ही पहचान सकते हैं। आए दिन आप रेलवे स्टेशन के आस पास, बस स्टेशन में या Public Places में ऐसे बच्चों को देखते होगा जो भीख मांग कर नशा करते हैं।

उनकी शारीरिक हालत ऐसी बदतर हुई रहती है की क्या कहना। ऐसे युवाओं को जब नशा नही मिलता तो ये भी मानसिक तनाव में आ जाते हैं। जिसके चलते ये छोटी मोटी चोरिया, लूटपाट करना शुरू कर देते हैं और धीरे धीरे पागलपन की स्तिथि तक पहुंच जाते हैं।

युवा वर्ग खुद को मानसिक तनाव से कैसे बचाएं?

ऊपर जिन कारणों के बारे में हमने बताया है उनके अनुसार आज के युवा वर्ग को सिर्फ सरकारी नौकरी के पीछे नहीं भागना चाहिए बल्कि खुद का कुछ काम करने की सोच रखनी चाहिए। वही पढ़ाई की बात करें तो हमारी जिंदगी डिग्री या नंबरों से नही बनती। पढ़ाई का बोझ न लें।

बात प्यार की करें तो उसे भी ज्यादा सीरियसली ना लें। जब तक कोई आपके साथ है उसे प्यार करें और अगर वो छोड़ जाए तो उसे भूलकर अपनी जिंदगी की नई शुरुवात करें। किसी के जाने से हमारी जिंदगी नही बदलती। हम इस दुनिया में अकेले आए थे, और अकेले ही जाना है।

बच्चों में तनाव के कारण

देखा जाए तो छोटे बच्चों में सबसे ज्यादा तनाव का कारण पढ़ाई है। पढ़ाई इतनी ज्यादा है कि बच्चे को खेलने का टाइम ही नहीं मिल पाता है। बचपन से ही बच्चे के दिमाग में यही डाला जाता है कि उसे बड़े होकर कुछ बनना है, अपने माता-पिता का नाम रोशन करना है। 2, 3 साल की उम्र में ही उसे स्कूल का रास्ता दिखा दिया जाता है।

पांच, छह साल की उम्र में स्कूल जाने वाला बच्चा ढाई साल से ही स्कूल जाने लगा है। खेलने की उम्र में बच्चे के दिमाग में पढ़ाई का प्रेशर डाल दिया जाता है। छोटे बच्चे से पढ़ाई के बारे में ही बात करना, उसे हर बार दूसरे बच्चों से कंपेयर करना, बार बार बच्चे से पढ़ाई कर बोलना, इन सब बातों से बच्चे के दिमाग में तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है।

इससे बच्चे के विकास पर भी बुरा असर पड़ता है। सुबह जल्दी स्कूल होने से बच्चा अच्छे से सो नहीं पाता है। अच्छे से खा पी नहीं पाता है। जिससे शरीर में कमजोरी होने लगती है। ऐसी समस्या आज हर बच्चे के साथ है। छोटी उमर से पढ़ाई का प्रेशर उन्हें चिड़चिड़ा बना देता है। इसके अलावा घर में मां बाप का बच्चों के सामने लड़ना झगड़ना,

बच्चों को हर छोटी गलती पर मार देना, बच्चों को डांटते रहना ये सब भी बच्चों के तनाव को बढ़ाता है। जिससे बच्चे या तो एग्रेसिव हो जाते हैं या फिर डरे डरे रहने लगते हैं। बात बात पर बुरा बर्ताव करते हैं। ठीक से खाना नही खाते। Parents सोचते हैं की बच्चा बड़ा बड़ा होते होते खुद ठीक हो जाएगा लेकिन समय के साथ ये समस्या डिप्रेशन में बदल जाती है।

बच्चों को मानसिक तनाव से कैसे बचाएं?

बच्चों के पढ़ने का निर्धारित टाइम बनाएं। घर का माहौल ठीक रखें। बच्चे को उसके दोस्तों के साथ टाइम बिताने का अवसर दें। खुद भी बच्चे के साथ फन एक्टिविटी करें। उन्हें खेलने कूदने दें। उन्हें अपने विचारों को दूसरों के सामने व्यक्त करने दें। खानपान का उचित ध्यान रखें। अपने बच्चे के दिमाग में बार-बार एक ही चीज ना डालें। उसे हर चीजों के बारे में बताएं। जानकारी दें। अच्छा या फिर बुरा उसे हर चीज का मतलब बताएं।

मानसिक तनाव (Mental Stress) से होने वाले नुकसान –

शारीरिक बीमारी-

तनाव या ज्यादा सोचने से हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे आजकल कम उम्र के युवा पीढ़ी में दिल का दौरा आने जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। पिछले 3 सालों से लोग दिल के दौरे से ज्यादा मार रहे हैं इनका कारण है तो सिर्फ तनाव की स्थिति। तनाव से चिड़चिड़ापन, नींद ना आना ,भूख ना लगना, ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर, मन को स्थिर रखने की कमी, शरीर में दर्द का अनुभव होना, आदि अनेक तरह की शारीरिक बीमारी देखने को मिलती हैं।

मानसिक तनाव से कैसे बचे-

प्रतिदिन व्यायाम करना, शुद्ध आहार लेना ,समय-समय पर हंसना बोलना ,कहीं बाहर घूमने जाना, मिलजुल कर रहना ,मेडिटेशन करना, नशे से दूर रहना ,पेंटिंग करना, नई-नई चीजें सीखना। ऐसा करने से हम खुद को मानसिक तनाव से दूर रख सकते हैं। बाजार में तनाव को दूर करने के लिए दवाइयां भी उपलब्ध हैं।

जिससे सही समय पर इलाज किया जा सकता है। साइकोलॉजिस्ट को दिखाकर मानसिक तनाव को दूर कर सकते हैं। बुरी चीजों के बारे में ज्यादा सोचे नहीं, सुबह उठकर और रात में सोने से पहले अखबार में या news channels में मरने मारने वाली खबरें ना पड़ें, अच्छी चीजें देखे, ऐसी चीजों पर फोकस करें जिनसे मन खुश रहे। ज्यादा तनाव ना लें। खुद का ख्याल रखें।

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