मैं ही क्यूं निर्धन हूं – गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी

वैसे तो कहा जाता है की भगवान ने किसी को गरीब नही बनाया, हर किसी को इतना जरूर दिया है की वो अपना जीवनयापन कर सके और अगर किसी को जरूरत से कम भी दिया है तो उसके लिए ऊपरवाला कुछ ना कुछ ऐसा इंतजाम कर देता है की उसका जीवन चलता जाता है।

हम अक्सर दूसरों के धन को देखकर अपनी अमीरी और गरीबी का अंदाजा लगाते हैं। हमारे पास 10 रुपए हैं और सामने वाले के पास 100 हैं तो हम खुद की नजरों में गरीब हो जाते हैं और दूसरा व्यक्ति अमीर। हम ये नही सोचते की 100 कमाने वाला मेहनत कितनी कर रहा है, उसकी जरूरतें कैसी है, हम बस दूसरे के धन को देखते हैं और अपनी राय बना लेते हैं।

आज की इस गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी के जरिए आप जानेंगे की भगवान बुद्ध के अनुसार एक अमीर और धनवान व्यक्ति कौन होता है। साथ ही आप समझेंगे की क्यों गौतम बुद्ध हर व्यक्ति को धनवान कहते थे। गौतम बुद्ध की कहानी आपको बहुत प्रभावित करेगी और इस बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी से मिलने वाली शिक्षा आपके बहुत काम की होगी।

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मैं ही क्यूं निर्धन हूं – गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी

एक समय की बात है। एक राज्य के राजा ने गौतम बुद्ध को कुछ दिनो के लिए अपने राज्य में आने का निमंत्रण दिया। उस राजा के निमंत्रण को बुद्ध ने स्वीकार किया और वो अपने कुछ शिष्यों के साथ उस राज्य में चले गए। बुद्ध से मिलकर उस राजा ने उनसे प्रार्थना करी की वो कुछ दिन वहां रुककर उसके राज्य के लोगों की समस्याओं का समाधान करें और साथ ही उन्हें धार्मिक मार्ग पर चलने की शिक्षा दें।

बुद्ध ने राजा की बात मान ली और 3 दिन के लिए उन्होंने इस राज्य में धर्मसभा करने का फैंसला किया। गौतम बुद्ध की आने की खबर पूरे राज्य में फेल गई और धर्मसभा के पहले ही दिन बहुत से लोग आए। उसी राज्य के चौराहे में एक भिखारी बैठा रहता था। उसे भी गौतम बुद्ध के आने की खबर थी लेकिन वो सोचने लगा की धर्मसभा में जाकर मुझे क्या मिलेगा यहीं बैठा रहता हूं।

जैसे जैसे लोग आएंगे वो मुझे भीख में कुछ ना कुछ देकर ही जाएंगे। पहले दिन बहुत लोग आए और इस भिखारी की अच्छी खासी कमाई हो गई। अगले दिन फिर वही सिलसिला चला। भीख मांगने के साथ साथ भिखारी ने ये भी देखा की धर्मसभा में जाते वक्त लोग दुखी और उदास से होकर जा रहे हैं और उसे कुछ देकर भी नही जाते लेकिन,

जब वो बुद्ध से मिलकर वापिस आते हैं तो काफी खुश दिखते हैं और खुशी खुशी भीख भी देकर जाते हैं। यही सोचते सोचते दूसरा दिन भी निकल गया। तीसरे दिन बहुत कम लोग आए तो भिखारी परेशान हो गया। उसकी कमाई नही हुई। उसने सोचा की बुद्ध सबकी समस्याओं का उपाय दे ही रहें तो क्यों ना मैं भी उनके पास जाऊं और अपनी इस निर्धनता को दूर करने का उपाय पूछूं।

ऐसा सोचकर वो भी धर्मसभा में चला गया। लेकिन वहां लंबी लाइन लगी थी। बड़ी मुश्किल से उसका नंबर आया। बुद्ध के पास पहुंचकर उसने प्रणाम किया और बोला, भगवान, इस गांव में सभी लोग खुश हैं और सभी धन सुविधा से संपन्न है फिर मैं ही निर्धन क्यों हूं।”

उस भिखारी को देखकर भगवान बुद्ध बोले, “तुम निर्धन इसलिए हो क्योंकि तुम हमेशा दूसरों से मांगते रहते हो लेकिन कभी किसी को कुछ देते नहीं। तुम सोचते हो की लोग तुम्हें भीख में बहुत पैसे दें लेकिन बदले में तुम किसी को कुछ देना नही चाहते।”
ऐसा सुनकर वो भिखारी बड़ी हैरानी से बोला, “भगवान, मैं क्या लोगों को कुछ दूंगा, मेरा तो खुदका गुजारा भीख मांग कर चलता है। मेरे पास देने को है ही क्या।”

बुद्ध कुछ देर के लिए मौन हो गए और थोड़ा देर रुकने के बाद बोले, “तुम बहुत मूर्ख हो, किसी को देने के लिए या दूसरों के साथ बांटने के लिए ऊपरवाले ने तुम्हें और हम सभी को बहुत कुछ दिया है।

मुस्कुराहट दी है जिसे तुम दूसरों के साथ बांटकर उनमें आशा और उम्मीद जगा सकते हो। आवाज दी है जिससे तुम मीठे शब्द बोलकर लोगों की तारीफ कर सकते हो, दो हाथ दिए हैं जिनसे तुम दूसरों की मदद कर सकते हो, एक स्वस्थ शरीर दिया है जिससे तुम भीख ना मांगकर, मेहनत का काम कर सकते हो।”

ऊपरवाले ने जिसको ये चीजें बिना किसी कमी के दी हैं वो कभी निर्धन नही हो सकता। तुम निर्धन हो तो बस अपनी सोच की वजह से। जैसे जैसे तुम इस सोच से बाहर निकलोगे, तुम खुद को दूसरों जितना ही अमीर समझने लगोगे और तुम्हारा जीवन भी सुधर जाएगा। दूसरों की खुशी देखकर उनसे अपनी तुलना मत करो। ऊपरवाले ने हर किसी को धनी बनाया है बस जरूरत है तो अपनी सोच को सुधारने की।

भगवान बुद्ध की बातें सुनकर उस व्यक्ति को अपने जीवन का मूल्य समझ आ गया और वो उनके दिए हुवे उपदेश के अनुसार अपना जीवन जीने लगा।

सीख जो हमे भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी से मिलती है

हम सभी लोग जब दूसरों से अपनी तुलना करते है या दूसरों को खुश देखते हैं तो हमें लगता है की हमारा ही जीवन खराब है और बांकि सब मजे में हैं। हम कभी अपने जीवन की अच्छी चीजों पर ध्यान नहीं देते। हम कभी ये नही सोचते की भगवान ने हमें एक स्वथ्य शरीर दिया है जो की सबसे मूल्यवान चीज है।

आप भले की कितने अमीर हों अगर आपका शरीर काम का ना रहे तो वो पैसा भी किसी काम नही आता और दूसरी तरफ अगर आप गरीब भी हैं लेकिन आपका शरीर एक दम स्वास्थ्य है तो आप अपने आप में एक अमीर व्यक्ति हैं। एक स्वस्थ शरीर पैसों से कितना ज्यादा जरूरी है कोरोना काल में हम सब देख ही चुके हैं।

आई होप इस गौतम बुद्ध की मोटिवेशनल कहानी से आपको प्रेरणादायक सीख मिली हो। ऐसी ही और भी कहानियां पढ़ने के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।

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