मुसीबतों और परेशानियों से लड़ना कोई आसान काम नही है खासकर तब जब मुसीबतें हमारी सफलता की राह में रोड़ा बन जाती है। आज इन Inspirational Stories in Hindi के जरिए हम आपको कुछ ऐसे सफल लोगों के बारे में बताएंगे जिन्होंने जिंदगी की मुसीबतों से लड़कर सफलता को पाया है।
दोस्तों इन लोगों की सफलता के बारे में जानकर आपको हैरानी भी होगी क्योंकि ये लोग अपनी शारीरिक कमियों के बावजूद भी एक नए मुकाम पर पहुंचे। इन सफलता की प्रेरणादायक कहानियों से आप जानेंगे की इच्छा सकती और कुछ करने की चाह इंसान को किस तरह आगे बढ़ाती है और महान बनाती है।

1- अरुणिमा सिन्हा की कहानी – Inspirational story of Arunima Sinha
Arunima Sinha एक ऐसा नाम है जिसे शायद आपने पहले भी सुना हो। अरुणिमा सिन्हा वो हैं जिन्होंने एक पैर के सहारे माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करी थी। माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने से पहले अरुणिमा एक आम लड़की की तरह ही थी। उन्हें बचपन से स्पोर्ट्स में बहुत रुचि थी और वो बॉलीबाल खेला करती थी। बाद में वो राष्ट्रीय स्तर की एक वॉलीबॉल खिलाड़ी बनी, लेकिन एक रोज उनके साथ कुछ ऐसा हुवा जिसने उनकी जिंदगी को बदल कर रख दिया।
ये बात है 11 अप्रैल, 2011 की, उस दिन अरुणिमा ट्रेन में लखनऊ से दिल्ली आ रही थी। लेकिन जब ट्रेन बरेली पहुंची तो कुछ लुटेरे ट्रेन में घुस गए और लूटपाट करने लगे। अरुणिमा के गले में एक चैन थी जिसे वो लूटने की कोशिश करने लगे। अरुणिमा ने जब उनका विरोध किया तो उन्होंने अरुणिमा को बरेली के पास ही ट्रेन से नीचे फेंक दिया। नीचे गिरने की वजह से अरुणिमा का बायां पैर ट्रेन की चपेट में आकर कट गया। उन्हें काफी गंभीर चोटें आएं।
6 महीने तक अरुणिमा ने दिल्ली के AIIMS में जिंदगी और मौत की जंग लड़ी और किसी तरह उनकी जान बच पाई। लेकिन इस सब में वो अपना पैर खो चुकी थी और उसकी जगह एक नकली पैर लगाया गया। इस घटना के बाद उनका बॉलीबाल करियर ख़त्म हो गया। उनके माता पिता और रिश्तेदारों के लिए अरुणिमा बस एक अपाहिज बन कर रह गई। मगर अरुणिमा के हौंसले अपाहिज नही हुवे थे और उन्होंने अपनी जिंदगी को बदलने की ठान ली।
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अपने जोश और जज्बे के दम पर अरुणिमा एक नकली पैर के सहारे एवरेस्ट को चढ़ने की ट्रेनिंग लेने लगी। साल 2013 में, वह माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंची, ऐसा करने वाली वह दुनिया की पहली दिव्यांग महिला बन गईं। अरुणिमा की कहानी विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकलने और महानता हासिल करने की एक शक्तिशाली प्रेरणा देती है।
2- निक वुजिसिक की कहानी – Inspirational Story of Nick Vujicic
Nick Vujicic एक प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर हैं। Nick Vujicic जब पैदा हुवे तो उन्हें एक गंभीर बीमारी हो गई जिसकी वजह से उनके हाथ और पैर का पूर्ण विकास नहीं हो पाया। उनका जन्म छोटे छोटे हाथ-पैर के साथ हुवा जिसकी वजह से निक को बचपन से ही काफी परेशानियां झेलनी पड़ी। बहुत कठिनायों से उनके माता पिता ने उन्हें बड़ा किया।
जिस स्कूल में निक जाते थे वहां भी बच्चे उनके शरीर का मजाक उड़ाया करते थे। जिसकी वजह से 10 साल की उम्र में उन्होंने आत्महत्या करने की भी कोशिश करी। लेकिन उनकी मां ने उन्हें बचा लिया और जिंदगी से लड़ने की हिम्मत दी। निक ने अपने अधूरे शरीर को कभी भी अपनी कमजोरी नहीं माना। उन्हें अपने पैरों के सहारा लिखना सीखा, दूसरे लोगों की तरह स्विमिंग और फिशिंग करना सीखा।
उन्होंने खुद को इस काबिल बनाया की वो एक नॉर्मल इंसान की तरह सब काम कर सकें। उन्होंने हार मानने के बजाय, अपनी कहानी से दूसरों को प्रेरित करने के लिए चर्च में और छोटे स्कूल और कॉलेजेस में स्पीच देना शुरू किया। धीरे धीरे लोग उनकी कहानी से प्रेरित होने लगे। अपनी काबिलियत और जज्बे के दम पर आज वो एक सफल मोटिवेशनल स्पीकर और Writer हैं।
उनकी सबसे powerful motivational book “Life Without Limits” है। जो की उन्होंने 2007 में पब्लिश करी थी। उनकी बुक्स को 25 से ज्यादा भाषाओं में रिलीज किया गया था। इस किताब की अब तक 1 मिलियन से ज्यादा copies बिक चुकी हैं। Nick अब तक 10 से ज्यादा मोटिवेशनल बुक्स लिख चुके हैं और उनकी नेटवर्थ करीब 41,030,750 रुपए ($500,000) है।
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3- मलाला यूसुफजई की कहानी – Inspirational Story of Malala Yousafzai
मलाला यूसुफजई का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान में हुआ था और वह पाकिस्तान की स्वात घाटी में पली-बढ़ी। उस वक्त स्वात घाटी में तालिबानी आतंकियों का राज था और उन्होंने वहां लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। मलाला एक ऐसी लड़की थी जो समान अधिकार पर विश्वास रखती थी और उनका मानना था की शिक्षा पाने का हक हर किसी को है।
तालिबान के इस प्रतिबंध के बाद मलाला ने शिक्षा के अधिकार पर बोलना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उनके भाषण और बयान पाकिस्तान की लोकल न्यूज में आने लगे। साथ ही BBC Urdu के साथ मिलकर मलाला ने स्वात घाटी में हो रहे तालिबानी अत्याचारों के बारे में ब्लॉग लिखना भी शुरू कर दिया।
जिसकी वजह से स्वात घाटी में पाकिस्तान की सेना और तालिबानी आतंकियों के बीच लड़ाई हो गई और पाकिस्तान की सेना ने स्वात घाटी पर कब्जा कर लिया। इसके बाद मलाला आतंकवादियों की नजर में आ गई और वो मलाला और उनके परिवार को रेडियो के जरिए जान से मारने की धमकी देने लगे।
मलाला इस सब के बाद भी डरी नही और उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए और तालिबान के खिलाफ लड़ना जारी रखा। लेकिन साल 2012 में जब मलाला स्कूल बस से घर के लिए निकलने ही वाली थी तो उनकी बस के अंदर अचानक एक आतंकवादी घुस आया और उसने मलाला पर हमला कर दिया। इस हमले में एक गोली मलाला के सिर के बाएं हिस्से से होते हुवे उनके कंधे में घुस गई।
कई घंटों के सफल ऑपरेशन के बाद उस गोली को मलाला के शरीर से निकाला गया लेकिन मलाला कोमा में चली गई। इसके बाद उन्हें इंग्लैंड लाया गया और 17 अक्टूबर २०१२ को वो कोमा से बाहर आई लेकिन उस वक्त उनके सुनने की शक्ति ख़त्म हो गई थी जिसके लिए अगले 5 सालों तक उनका इलाज चला और वो पूरी तरह ठीक हो गई। मलाला की निडरता, साहस और जज्बे को पूरी दुनिया ने सराहा और उन्हें सपोर्ट किया।
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10 अक्टूबर 2014 को मलाला को शांति का नोबेल पुरुस्कार दिया गया। मलाला नोबेल प्राइज जीतने वाली सबसे कम उम्र की पहली महिला भी हैं। उन पर कई सारी किताबें भी लिखी गई। जिसमे सबसे ज्यादा चर्चित पुस्तक ‘I Am Malala’ है। आज भी मलाला विश्व स्तर पर महिलाओं के अधिकार और शिक्षा को लेकर लड़ाई लड़ रही हैं। मलाला आज हर किसी के लिए बहादुरी और हिम्मत की जीती जागती मिसाल हैं।
4- बेथनी हैमिलटन की कहानी – Motivational Story of Bethany Hamilton
Hawaii में जन्मी बेथनी हैमिल्टन, बचपन से ही एक सर्फर बनना चाहती थी। तीन साल की छोटी सी उम्र में ही बेथनी ने सर्फिंग सीख ली। बेथनी सर्फिंग में ही अपना करियर बनाना चाहती और उनका सपना सर्फिंग में ही एक प्रोफेशनल Athlete बनने का था। लेकिन 13 साल की उम्र में उनके साथ कुछ ऐसा हुवा जो शायद उन्होंने कभी सपने में भी नही सोचा होगा।
हुवा यूं की 13 साल की उम्र में जब वो अपने बेस्ट फ्रेंड के साथ सर्फिंग कर रही थी उसी दौरान एक शार्क ने बेथनी पर हमला कर दिया और उनके बाएं हाथ को बुरी तरह काट दिया। इस हमले में उन्होंने अपना बायां हाथ पूरी तरह से खो दिया। इस हमले के बाद भी बेथनी ने अपने सपने को नही छोड़ा और एक महीने बाद वो एक हाथ के सहारे ही सर्फिंग करना सीखने लगी।
कई महीनो की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने एक हाथ के सहारे Surf करना सीख लिया और दो सालों के अंदर ही अपना पहला नेशनल सर्फिग टाइटल भी जीत लिया और जिसके साथ ही वो एक Professional Surfer बन गई। उन्होंने दुनिया के बेहतरीन Surfers के खिलाफ प्रतिस्पर्धा की और अपने दृढ़ संकल्प और साहस से लाखों लोगों को प्रेरित किया है।
सीख जो हमे इन Inspirational stories in hindi से मिलती है –
इन रियल लाइफ इंस्पिरेशनल स्टोरीज से ये बात तो आप समझ ही गए होंगे की जिन लोगों के हौंसले बुलंद होते हैं और इरादों में जान होती है वो सफलता पा ही लेते हैं। कमजोर लोग अक्सर अपनी कमी का बहाना बनाते हैं लेकिन हिम्मती लोग अपनी कमियों को ताकत बना कर सफलता के शिखर में चढ़ जाते हैं।
दोस्तों, भले आप में कितनी भी कमियां हों लेकिन एक बात हमेशा याद रखें सफल बनने के लिए आपको बस एक खूबी की जरूरत होती है। हम सब में लाख कमियां होती हैं लेकिन उन लाख कमियों में एक खूबी भी होती ही है। जो लोग सफल होने की चाह रखते हैं वो अपनी कमियों के बीच में उस एक खूबी को ढूंढ ही लेते हैं जो उन्हें सफल बना देती है। इसलिए अपनी कमियों को एक एक करके दूर करने के बजाई अपनी उस एक खूबी को ढूंढ जो आपको सफल बना सकती है।
आई होप इन inspirational stories in hindi से आपको अपनी मुसीबतों से निकलने की प्रेरणा मिली हो। ऐसी ही और भी कहानियां पढ़ने के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।