आज के समय में ना शब्द कोई नहीं सुनना चाहता हर कोई चाहता है कि लोग उन्हें उनके काम के लिए हां ही कहें फिर चाहे उनका काम बिगड़े या फिर बने। दोस्तों जिंदगी में इंकार का भी अपना एक महत्व है हर काम के लिए हां नहीं कहा जा सकता और हर काम जिसके लिए कोई व्यक्ति हां कहे जरूरी नहीं है कि वह सही ही हो।
आज की इस प्रेरणादायक कहानी छोटी सी के जरिए आप सीखेंगे ही क्यों कभी कभी हमें दूसरों के इनकार को भी अपनाना चाहिए। साथ ही अगर किसी काम से दूसरों का नुकसान होने की संभावना हो तो हमे खुद भी उन्हें उस चीज के लिए मना कर देना चाहिए।
कई लोग ऐसे होते हैं जो खुद के फैसले खुद ही लेते हैं, ना वो दूसरे से कुछ पूछते है और ना ही उनकी जिंदगी में कोई ऐसा होता है जो उन्हें मना कर सके, ऐसी स्तिथि में ऐसे लोग कई बार ऐसे काम कर जाते हैं जिनसे उनकी जिंदगी में मुसीबतें बड़ जाती है और फिर वो ये सोचते हैं काश किसी ने मना किया होता।
इनकार करना भी जरूरी है – प्रेरणादायक कहानी छोटी सी

बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक चिड़िया अपने बच्चों के साथ रहा करती थी। वो चिड़िया जिस पेड़ में रहती थी वह नदी के पास था। जिसकी वजह से चिड़िया को खाने-पीने की चीज पास में ही मिल जाती और वो चिड़िया उस जगह को छोड़कर कहीं नहीं जाती।
बरसात का समय आने वाला था और जंगल में ये बात फैलने लगी की इस साल बरसात बहुत होगी और नदी का पानी भी और साल की तुलना में बहुत बड़ जाएगा। इन बातों से आस पास के सभी पक्षी दूसरी जगह जाकर अपना घोंसला बनाने लग गए। लेकिन वो चिड़िया उस जगह को छोड़कर ज्यादा दूर नहीं जाना चाहती थी। इसलिए वो नदी के पास ही कहीं घोंसला बनाने के लिए कोई बड़ा पेड़ ढूंढने लगी।
उस चिड़िया को थोड़ी ही दूर पर दो सबसे बड़े पेड़ मिल गए और वो दोनो एक दूसरे से थोड़ा ही दूरी पर थे। चिड़िया पहले वाले पेड़ के पास गई और बोली, “बरसात का समय आने वाला है और इस बार बरसात भी ज्यादा होने वाली है इसलिए बरसात का समय निकल जाने तक क्या मैं अपने बच्चों के साथ मिलकर तुम्हारी डाली पर घोंसला बना कर रह सकती हूँ?”
उस पेड़ ने चिड़िया की बात सुनी, पेड़ कभी किसी को सहारा देने से मना नहीं करते लेकिन उस पेड़ ने बहुत ही बेरुखी से उस चिड़िया को मना कर दिया और किसी दूसरे पेड़ में घोंसला बनाने की नसीहत दे दी। चिड़िया दुखी हो गई क्योंकि वो पेड़ सबसे बड़ा था, इसके बाद चिड़िया दूसरे पेड़ के पास गयी तो उस पेड़ ने चिड़िया की मजबूरी को समझा और घोंसला बनाने की अनुमति दे दी।
बरसात के दिन शुरू हो गए और एक दिन बहुत तेज बारिश हुई। सुबह से शाम हो गई लेकिन बरसात रुकी नहीं। धीरे धीरे नदी का पानी बढ़ने लगा और देखते ही देखते वो पहला पेड़ नदी के तेज बहाव से खुद को बचा नही पाया और गिरकर नदी में बहने लगा।
उस पेड़ को बहता देखकर चिड़िया बोली “ऐ पेड़, एक दिन मैं तुमसे सहारा माँगने आयी थी परन्तु तुमने बड़ी ही बेरूखी से मुझे मना कर दिया था, और आज उसी की सजा भगवान् ने तुम्हें दी है।”
उस पेड़ ने बड़े ही शांत मन से चिड़िया से कहा- “मैं ये बात पहले ही जानता था की मेरी जड़े बहुत कमजोर हैं, और इस बार की बरसात में, मैं टिक नहीं पाऊँगा, मैं तुम्हारी और तुम्हारे बच्चों की जान खतरे में नहीं डालना चाहता था, इसलिए उस दिन मुझे तुम्हें मना करना पड़ा। अगर मैं तुम्हें मना नहीं करता तो आज तुम भी मेरे साथ बह जाती और ये कहते-कहते पेड़ बह गया।”
सीख जो हमे इस Prernadayak Kahani मिलती है –
छोटी सी कहानी ये बात सिखाती है कि हमें कभी भी किसी के इनकार को या जब भी कोई हमें किसी चीज के लिए मना कर देता है तो उस बात को दिल पर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि कई बार चीजें हमारे ही भले के लिए होती हैं।
जैसे कई बार घर में बड़े लोग या हमारे माता-पिता हमें किसी चीज के लिए मना कर देते हैं तो हमें कभी भी इस बात से लेकर उनसे नाराज नहीं होना चाहिए क्योंकि वह लोग अपनी समझदारी और हमारा अच्छा बुरा देखकर ही फैसला लेते हैं।
जब उन्हें लगता है कि कोई चीज हमारे लिए सही नहीं है तो वह उसे करने के लिए मना कर देते हैं और हमें हमेशा अपने बड़ों की बात माननी चाहिए क्योंकि उनकी जिंदगी का जो भी एक्सपीरियंस है वह उसके अनुसार हमारे लिए फैसले लेते हैं और कई बच्चे होते हैं जो अपने मां-बाप के खिलाफ जाकर कुछ ना कुछ ऐसा काम कर देते हैं जिनसे उनके लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है।
किसी के इन्कार को उनकी कठोरता ना समझें। क्या पता उनके उसी इन्कार से आप का भला हो। इसलिए जिंदगी में समझदारी से फैंसले लें, दूसरों के लिए भी और खुद के लिए भी।
आई होप आपको छोटी सी प्रेरणादायक कहानी पसंद आयी हो। ऐसी ही और भी मोटिवेशनल कहानियां पढ़ने के लिए इस ब्लॉग को फॉलो जरूर करें। कहानी को शेयर जरूर करें।