हम दूसरों से जलते क्यों हैं – Motivational Speech On Jealousy

1- हम दूसरों से जलते क्यों हैं – Short Motivational Speech On Jealousy

जो दूसरों को मिला वो हमे भी मिलना चाहिए, ऐसी इच्छा हम सभी की होती है। ऐसी इच्छा होना गलत नहीं है। लेकिन कई बार ऐसा भी हो जाता है की दूसरों को देखकर हो हमारी इच्छाएं हमारे ही सर चढ़ जाती हैं और जब ऐसा होता है तो हमे दूसरों से जलन होने लगती है।

हम अंदर ही अंदर दूसरों को देखकर खुद को छोटा महसूस कराने लगते हैं और ये सोचते हैं की जो उनके पास है वो हमे कब मिलेगा। अपनी इच्छाओं को ईर्ष्या बनने से रोकिये। अगर मन में दूसरों के प्रति ईर्ष्या या जलन ज्यादा होने लगे, तो भी कोई बात नहीं। इस पर परेशान मत होइए। हो सकता है आपकी ईर्ष्या (jealousy) आपसे कुछ कहना चाहती है, बस उसे सुनिए और समझिए।

इस बात को इस तरह से समझिये एक बार एक लड़की फोन पर अपनी दोस्त से बात कर रही थी। वह बोली, ‘हां, मुझे बुरा लग रहा है। हम दोनों ने एक ही कोचिंग से पढ़ाई करी फिर भी तू मुझसे अच्छी रैंक ले आयी। मैं हमेशा तुझसे अच्छी रैंक चाहती थी, पर अपनी मेहनत से, तेरा बुरा चाहकर नहीं।’

उस लड़की के मन में भी अपनी अपनी दोस्त के लिए जलन का भाव था लेकिन उसने दोस्त के सामने अपनी जलन को बड़ी ही आसानी से जाहिर कर दिया। और, अच्छी बात यह थी कि उसके बाद भी दोनों देर तक बातें करते रहे। ईर्ष्या (jealousy) हमारे और feelings की तरह ही है, पर हर किसी के mind में इसका असर एक सा नहीं होता। कोई दूसरों से जलता है तो उनका बुरा करने की सोचने लगता है। उनके बारे में उलटी सीधी बातें करना लगता है।

और दूसरी और कुछ लोग ऐसे होते है जो दूसरों से जलते तो हैं लेकिन वो अपनी इस जलन (jealousy) को अपनी motivation बना लेते हैं। ताकि वो उनसे बेहतर कर पाएं। उनकी जलन उन्हें कभी भी हारा हुवा महसूस नहीं कराती बल्कि उनकी जलन उन्हें हर बार दूसरों से बेहतर बनने की प्रेरणा देती है।

2- दूसरों से होने वाली जलन से खुद को दूर कैसे रखें।

दूसरों की लगातार तरक्की या अच्छे काम को देखकर हमारे मन में कई तरह के विचार आते हैं। हम सोचते हैं, काश ये मौके, ये सुविधाएं हमारे पास भी होती। पर, कुछ लोग दूसरों की कामयाबी से कुछ ज्यादा ही depressed होने लगते हैं। अपनी इच्छाओं के पूरा ना होना उन्हें अंदर अंदर ही ठेस पहुँचता रहता है। दूसरों से जलन (jealousy) हमारी दबी या छिपी हुई, आधी-अधूरी इच्छाओं का ही एक रूप है।

क्लिनिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसर हैं रॉबर्ट एल. लीह। कहते हैं, ‘ईर्ष्या का हावी होना हमारी सोच को गलत दिशा पर ले जाता है। हम समझ ही नहीं पाते कि इस फीलिंग की कैद से कैसे बाहर निकलें?’ हमारे अंदर गुस्सा और बेचैनी बढ़ने लगती है। हम छोटी-छोटी बात को मन से लगाने लगते हैं। दूसरों से हमेशा तुलना करते हैं। खुद से ही शर्मिंदगी महसूस करते हैं। हमें जिंदगी में कुछ ना कर पाने और जिंदगी में कुछ ना हांसिल हो पाने का डर सताने लगता है।

कई बार हम ये भी दिखाने की कोशिश करते हैं की हमें दूसरों की सफलता से फर्क ही नहीं पड़ता। दूसरों को जो मिला है वो उनकी किस्मत है। हम जहां हैं, खुश हैं। लेकिन जब हम ऐसा सोचने लगते हैं तो धीरे- धीरे हम दूसरों से दूर होने लगते हैं। उनकी खुशियों में शामिल नहीं होते। बेवजह नाराज रहने लगते हैं। इस ईर्ष्या (Jealousy) से खुद को बाहर निकालने का रास्ता यही है की आप उस काम में फोकस जो आप कर रहें हैं।

आपके पास जो चीजें हैं आप उनसे खुद को संतुष्ट रखें। दूसरों को क्या मिल रहा है या वो क्या कर रहे हैं उससे खुद को दूर रखें। लोगों से मिलना जुलना ना छोड़ें। खुद ये भरोसा दिलाएं की आपकी मेहनत भी आपको सफलता दिलाएगी और जो कुछ दूसरों के पास है, उससे बेहतर आप खुद के लिए कर पाएंगे। Jealousy को अपनी मोटिवेशन बनाएं ना की अपने डिप्रेस होने की वजह।

3- खुद में कैसे लाएं बदलाव।

दूसरों से होने वाली ईर्ष्या (jealousy) हमें कुछ नया करने से रोकती है। वहीं हमारे सपने हमे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। जलन हमे दूसरों से अलग कर देती है लेकिन प्रेरणा हमे दूसरों से जोड़ती है।

क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट बारबरा ग्रीनबर्ग कहती हैं, ‘अपनी जलन को एक सपने का रूप दें। उसे अपनी motivation बनाएं। दूसरों से जलने की बजाय अपनी तरक्की में ध्यान लगाएं।’

हो सकता है, आपको दूसरों की अपेक्षा चीज़ें ना मिली हो लेकिन इसमें दूसरों का कोई दोष नहीं है। लेकिन जलन के कारण हम दूसरों से गुस्सा होने लगते हैं। ऐसे में हम गुस्से में उन लोगों को अपना दुश्मन मानने लगते हैं, जिनकी कोई गलती ही नहीं होती।

इसलिए खुद से सही सवाल करें। खुद को ऊपर उठाने की कोशिश करें, दूसरों को नीचा दिखाने की नहीं। यह भी देखें कि दूसरों की जिस सफलता पर आप जल रहे हैं, क्या वह सच में आपको चाहिए ? अगर हां, तो उस जलन को एक सपने का रूप दें और उसे पूरा करने की कोशिश करें।

खुले दिल से स्वीकार करें कि हां, आपमें जलन की भावना है, पर आप उसे दूर भी करना चाहते हैं। खुद पर काम करना, हमें निराशा से बचाता है। हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। दूसरों की सफलता के साथ, हमें उनकी मेहनत पर भी नजर रखनी चाहिए।

4- ईर्ष्या को कैसे दूर करें..?

  • पॉजिटिव सोच रखें। दूसरों को जो मिला है उसके बारे में ना सोचें बल्कि ये सोचें की आपके पास क्या क्या है जो आपके लिए जरूरी है।
  • दूसरों से बिना वजह और किसी भी मामले में अपनी तुलना न करें।
  • दूसरों के ने सफल होने के लिए कितना struggle किया है वो भी देखें और उनकी कोशिश को कभी नजरअंदाज ना करें। ऐसा करने से ही समझ आता है कि सब कुछ बहुत अच्छा या आसान ही नहीं होता।
  • अपनी बेहतरी के लिए काम करें कुछ नया करने, कुछ नया सीखने से आपका self confidence भी बढ़ेगा।
  • जलन या ईर्ष्या का भाव अगर बढ़ने लगे तो किसी एक्सपर्ट से बात करें और अपने मन को शांत रखने की कोशिश करें।
  • सफल होने का मतलब हर किसी के लिए अलग अलग होता है। आपके जीवन में क्या अच्छा है, इस पर भी जरूर ध्यान दें।

Q- लोग एक दूसरे से जलते क्यों हैं?
Ans- दूसरों की ख़ुशी और उनके पास जरूरत की हर चीज़ को देखकर अकसर लोग एक दूसरे से जलते हैं।

Q- मुझे दूसरों से जलन क्यों होती है?
Ans- क्यूंकि दूसरों के पास वो सब कुछ है जो आप चाहते हैं की आपके पास भी हो। लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी जब आप उन चीज़ों को हांसिल नहीं कर पाते हैं तो आपको दूसरों से जलन होने लगती है।

Q- ईर्ष्या की भावना को कैसे कम करें?
Ans- उपरवाले ने आपको जो दिया है उसमे खुश रहना सीखें और जो आपको नहीं मिल पा रहा है उसके बारे में ज्यादा ना सोचें। दूसरों की सफलता से सीखने की कोशिश करें, ऐसा करने से ईर्ष्या की भावना कम होने लगेगी।

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