हम सभी ने अकबर बीरबल की कहानियां कभी ना कभी जरूर सुनी होंगी। बीरबल, अकबर के सबसे बुद्धिमान और चतुर मंत्री थे और जहाँपनाह अकबर हमेसा नए नए तरीकों से उनकी बुद्धिमानी की परीक्षा लेते रहते थे। आज की मजेदार कहानी भी बीरबल की चतुराई पर ही आधारित है।
बीरबल की कहानियां मजेदार होने के साथ साथ शिक्षाप्रद भी होती है। आज की Short Birbal Moral Story In Hindi पढ़कर भी आपको बहुत मजा आएगा। अकबर बीरबल के किस्से कहानियां से जुड़ा ये मजेदार किस्सा एक बार जरूर पढ़ें और साथ ही इस कहानी से मिलने वाली नैतिक सीख को जरूर जानें।

हरे रंग का घोड़ा – Short Birbal Moral Story In Hindi
एक बार की बात है। महाराज अकबर, बीरबल और अपने कुछ मंत्रियों के साथ घोड़ों में बैठकर जंगल की सैर पर निकले। वसंत ऋतु थी और हर तरफ हरियाली ही हरियाली छाई थी। अपने चारों ओर के वातावरण को देखकर अकबर के मन में विचार आया कि अगर इस हरे भरे जंगल में घूमने के लिए घोड़े भी हरे रंग के होते तो कितना आनंद आता है।
जैसे ही उनके मन में ये विचार आया तो उन्होंने बीरबल की बुद्धिमानी की परीक्षा लेने की सोची। अकबर अपना घोड़ा बीरबल के पास लेकर गए और बोले, “बीरबल, इस जंगल के हरे भरे माहौल को देखकर मेरा मन हरे घोड़े में सवारी करने का कर रहा है। इसलिए तुम जाओ और मेरे लिए कहीं से भी एक हरा घोड़ा ले आओ।”
अकबर की बात सुनकर बीरबल सोच में पड़ गए। वो समझ गए की महाराज उनके साथ फिर से कोई खेल, खेल रहे हैं। बांकि मंत्री भी महाराज की बात सुनकर अचरज में पड़ गए। वो ये सोचने लगे की हरे रंग का घोड़ा तो होता ही नही फिर बीरबल ऐसा घोड़ा लेकर कहां से आएगा।
थोड़ा सोचने के बाद बीरबल बोले, “महाराज, हरा घोड़ा तो मैं ले आऊंगा लेकिन इस काम के लिए मुझे कुछ दिनों का वक्त चाहिए।”
अकबर बोले, “ठीक है, मैं तुम्हे इस काम के लिए एक सप्ताह देता हूं।”
अकबर की बात मानकर बीरबल ने अपना घोड़ा घुमाया और हरे रंग का घोड़ा ढूंढने निकल पड़े।
3 दिन बाद ही बीरबल लौट कर दरबार आ गए। बीरबल को देख अकबर बोले, “बीरबल तुम तो खाली हाथ ही आए हो हमारे लिए हरे रंग का घोड़ा नही लाए?”
महाराज की बात सुनकर हर कोई जोर जोर से हंसने लगा। सबको लगा इस बार चतुर बीरबल कोई चतुराई नही कर पाया।
माहौल थोड़ा शांत हुवा तो बीरबल बोले, “महाराज, हरे रंग का घोड़ा मैने ढूंढ लिया है। यही बताने मैं आपके पास आया हूं।”
बीरबल की बात सुनकर अकबर के साथ साथ दरबार में बैठे सभी लोग हैरान हो गए। हैरानी भरी आवाज के साथ अकबर बोले, “हरा घोड़ा मिल गया है तो फिर तुम इसे लाए क्यों नही?”
बीरबल बोले, “महाराज जिस व्यक्ति के पास वो घोड़ा है वो उसे तभी देगा जब आप उसकी दो शर्ते मानेंगे।”
अकबर बोले, “ठीक है, उसकी शर्तें बताओ फिर हम उस पर विचार करेंगे।”
बीरबल बोले, “महाराज, उस व्यक्ति की पहली शर्त ये है की हरे घोड़े को लेने के लिए आपको अकेले ही आना होगा। और दूसरी शर्त ये है की वो घोड़ा काफी अलग और खास है इसलिए आपको उसे किसी खास दिन ही लेने आना होगा। उस व्यक्ति ने कहा है कि, सप्ताह के सात दिनों के अलावा जो भी खास दिन आए। उस दिन आप आकर उस घोड़े को ले जा सकते हैं।”
बीरबल की चतुराई भरी बातें सुनकर, अकबर समझ गए की इस बार भी बीरबल के सामने उनकी होशियारी काम नहीं आई।
सीख जो हमे इस बीरबल की कहानी से मिलती है –
हमें कभी भी ऐसी चीजों की चाह नही रखनी चाहिए जो किसी भी तरह हमें मिल नही सकती। हमें वास्तविकता में रहकर ही अपनी चाहते बनानी चाहिए।
आई होप आपको ये Short Birbal Moral Story In Hindi पसंद आई हो। ऐसी ही और भी कहानियां पढ़ने के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।