गुस्सा बहुत आता है तो एक बार ये कहानी जरूर पढ़ें । Motivational Story on Anger in Hindi

गुस्सा आना एक स्वाभाविक सी बात है लेकिन जब गुस्सा बार बार आने लगे और हर छोटी चीज पर आने लगे तो ये एक समस्या बन जाती है। ऐसा नहीं है की गुस्सा करना एक बुरी आदत है। कई बार लोग प्यार से चीजें नहीं समझते तो उन्हें समझाने के लिए गुस्सा करना एक जायज सी बात है।

जिस तरह स्कूल में जब बच्चे प्यार से कहने पर होमवर्क नही करते तो टीचर गुस्से में उन्हें ढांठता है या फिर डराता है ताकि बच्चा होमवर्क करे और पढ़ाई भी। इसी तरह निजी जिंदगी में भी कभी-कभी हमें गुस्से का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बात बात पर गुस्सा आ जाता है और वो लड़ना शुरू कर देते हैं। हर छोटी बात पर वो गर्म हो जाते हैं और बहस शुरू कर देते हैं।

ज्यादा गुस्सा आना एक ऐसी समस्या है जो किसी भी इंसान को शैतान बना सकती है। जो लोग ज्यादा गुस्सा करते हैं उनसे लोग बात करना छोड़ देते हैं या फिर उनसे मतलब ही नहीं रखते। फिर चाहे वो व्यक्ति घर का हो या बाहर का। गुस्सा हमारे अंदर की एक भावना है जिसे हम काबू में कर सकते हैं।

आज की इस Motivational story on anger in hindi के जरिए हम आपको इस बात की प्रेरणा देंगे की कैसे आप अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं। इस गुस्से पर कहानी के जरिए आप जानेंगे की क्यों ज्यादा गुस्सा आना हमारे और हमारे आस पास मौजूद लोगों के लिए बुरा है। ज्यादा गुस्सा दुखों का कारण ही बनता है। गुस्से पर प्रेरणादायक कहानी की सीख के जरिए आप अपने गुस्से को शांत कर सकते हैं। इस हिंदी स्टोरी ऑन एंगर को जरूर पढ़ें।

गुस्से का सबसे आसान ईलाज – Motivational Story on Anger in Hindi

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ये कहानी है श्याम नाम के एक लड़के की। जिसका एक परिवार था, अच्छी नौकरी थी और एक बेहतर जिंदगी भी। कुछ समय बाद श्याम की शादी हो गई। बच्चे हो गए। परिवार बड़ गया और साथ ही श्याम के ऊपर जिम्मेदारियां भी आ गई। धीरे धीरे श्याम अपनी जिम्मेदारियों और घर की जरूरतें पूरी करने के दबाव से बहुत चिड़चिड़ा सा हो गया।

(आज के समय में भी ज्यादातर लोगों की यही समस्या है। लड़का हो या लड़की परिवार, नौकरी और जिम्मेदारियों का बोझ हमें चिड़चिड़ा और गुस्सैल बना रहा है।)

समय के साथ साथ श्याम का चिड़चिड़ापन गुस्से में बदलने लगा। ऑफिस में कभी कोई गलती कर देता तो श्याम उससे बहुत खरी खोटी सुना देता था। घर में छोटी छोटी बातों पर बच्चों से गुस्सा करने लगा। उसका गुस्सा कभी बच्चों पर निकलता तो कभी पत्नी पर। उसकी इस गुस्से की वजह से घर का माहौल बहुत बिगड़ गया था।

परिवार वाले उससे कुछ कहने में भी डरते थे। कब किस बात पर उससे गुस्सा आ जाए ये सोचकर उन्होंने उससे बातें करना भी कम कर दिया। हर बात पर गुस्सा करने की आदत से श्याम खुद भी परेशान था और अपनी इस समस्या से छुटकारा पाना चाहता। लेकिन हालात अक्सर ऐसे बन जाते की ना चाहकर भी श्याम को गुस्सा आ जाता था।

एक दिन श्याम घर पर अकेला था। परिवार के लोग बाहर गए हुवे थे। दिन के समय दरवाजे की घंटी बजी और श्याम ने दरवाजा खोला तो देखा सामने एक साधु खड़ा है। बिना कुछ सोचे समझे श्याम गुस्से में बोला, “मेरे पास तुम्हें देने को कुछ नही है। यहां से निकल जाओ।”
साधु शांत रहे और बोले, “बिना वजह इतना गुस्सा, मैं यहां तुझसे कुछ मांगने नही आया हूं। बस एक पता पूछना था लेकिन तुम्हारे व्यवहार को देखकर नही लगता की तुम ये भी बताओगे।”

साधु की बात सुनकर श्याम चुप हो गया और बोला, “महाराज, मुझे गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है और चाहकर कर भी मैं अपने गुस्से पर काबू नही कर पाता। अगर आपके पास गुस्से को करने का कोई तरीका है तो मुझे बताने की कृपा करें।”


श्याम की बात सुनकर साधु ने अपने थैले में से एक छोटी सी शीशी निकाली और श्याम को देते हुवे बोले, “इस शीशी के अंदर गुस्से को काबू में लाने की दवा है। अगली बार जब भी तुम्हें गुस्से आए और तुम कुछ बोलने लगो तो उसी समय इस शीशी से एक ढक्कन दवा निकाल कर अपने मुंह में डाल लेना और 15 मिनट तक उसे अपने मुंह में ही रखना, अगर उस बीच कुछ बोलोगे तो दवा का असर नहीं होगा।”

साधु की बात मानकर श्याम ने वो दवा अपने पास रख ली और अब जब भी उसे गुस्से आता तो वो गुस्से में कुछ बोलने से पहले दवा मुंह में डाल लेता। दवा मुँह में डालते ही श्याम 15 मिनट तक चुप रहता और 15 मिनट बाद उसका गुस्सा खुद की शांत हो जाता। श्याम लगातार ऐसा करता रहा और 10 दिनों के अंदर ही श्याम का गुस्सा कम होने लगा और बात बात पर गुस्सा करने की आदत भी छूट गई।”

कुछ दिन बाद श्याम को रास्ते में वो साधु फिर से मिल गया। उन्हें देखते ही श्याम ने प्रणाम किया और बोला, “महाराज, आपकी दवा ने अपना असर दिखा दिया और मेरी गुस्सा करने की आदत भी झूठ गई है। मेरे ऑफिस और मेरे घर का माहौल भी अब शांत हो गया है। मेरा चिड़चिड़ापन भी अब खत्म हो गया है।”

श्याम की बात सुनकर साधु ने मुस्कुराते हुवे कहा, “वह कोई दवा नहीं थी। उस शीशी में तो बस पानी भरा हुवा था। गुस्से का इलाज दवा नही बल्कि तुम्हारा चुप रहना था। गुस्से का ईलाज हम किसी दवा से नही कर सकते उसका इलाज केवल शांत रह कर ही किया जा सकता है। जब भी हमें गुस्सा आता है तो हम उल्टा सीधा बोलने लगते है या फिर बहस करने लगते हैं और ऐसे में हमारा गुस्सा और भी बड़ जाता है लेकिन इसके विपरित अगर हम खुद को शांत कर लें और थोड़ा देर चुप हो जाएं तो गुस्सा अपने आप ही दूर हो जाता है। यही तुम्हारे साथ भी हुवा। गुस्से का इलाज सिर्फ शांत मन है।”

सीख जो हमें इस गुस्से को काबू में लाने वाली स्टोरी से मिलती है –

इस कहानी से आप ये तो जान गए होंगे की किस तरह हम अपने गुस्से को शांत कर सकते हैं। ज्यादा गुस्सा आना या बात बात पर गुस्सा करना हमारे लिए नुकसानदायक ही होता है। गुस्सा में इंसान वो काम भी काम कर जाता है जो उसे नही करने चाहिए। ऐसी बातें बोल जाता है जो उसे नही बोलनी चाहिए।

इसलिए यदि आपको भी ये लगता है की आप कई बार छोटी छोटी चीजों को लेकर ज्यादा गुस्सा करते हैं तो खुद को शांत करना सीखें।दूसरों की छोटी छोटी गलती को नजरंदाज करना सीखें। घर, परिवार और ऑफिस में कभी कभी ऐसी बातें हो जाती हैं जिनकी वजह से हमें गुस्सा आ जाता है,

ऐसे में जब भी कुछ ऐसी बात हो तो एक दम से रिएक्ट करने के बजाए थोड़ा सा रुक जाएं और चीखने चिल्लाने के बजाई शांत मन से उस बात को समझने की कोशिश करें और फिर दूसरे को समझाएं। गुस्से में अगर आप कुछ सुझाव भी देंगे तो वो किसी काम नही आयेगा इसलिए सबसे पहले खुद को शांत करें और उसके बाद निर्णय लें।

कभी ये ना सोचें की गुस्से में कही बात का असर ज्यादा होता है। भले सामने वाला एक बार आपका गुस्सा झेल ले लेकिन बार बार आप सामने वाले पर गुस्सा होंगे तो वो या तो आपकी बात का उल्टा जवाब देने लग जाएगा, या आपसे बात करना ही छोड़ देगा या फिर आपको ज्यादा मुंह ही नही लगाएगा। इसलिए लोगों को गुस्सा दिखाने के बजाय प्यार दिखाएं ताकि आपके रिश्ते बेहतर बने रहें और आपका कोई काम भी ना बिगड़े।

आई होप आपको इस Motivational story on anger in hindi से कुछ अच्छी शिक्षा मिली हो। ऐसी ही और भी छोटी-छोटी मोटिवेशनल कहानियां पढ़ने के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।

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