हम सभी जानते हैं की पैसे की कमी हमेशा जीवन दुख का कारण ही बनती है। गरीब इंसान का जीवन पैसे की कमी के कारण हमेशा दुखों से घिरा रहता है। पैसे की कमी से गरीब व्यक्ति ना अपने बच्चों को पढ़ा लिखा पाता है, ना उनका बेहतर इलाज करा पाता है और ना ही उन्हें एक अच्छा जीवन दे पाता है।
आज की इस True Hindi Story With Moral के जरिए आप जानेंगे की किस तरह पैसे की कमी जीवन में दुखों का कारण बनती है। ये कहानी असल जिंदगी पर आधारित है। इस गरीबी पर कहानी के जरिए आप समझेंगे की क्यों हमें हमेशा पैसों की बचत करनी चाहिए और अगर हमारे पास पैसे नहीं है तो हमें मेहनत करके पैसा कमाने चाहिए। इस रियल लाइफ शॉर्ट हिंदी स्टोरी को एक बार जरूर पढ़ें।

गरीबी सब कुछ छीन लेती है – True Hindi Story With Moral
(Story by Divya) दोस्तों, आज मैं आपको अपनी जी जिंदगी से जुड़ी एक सच्ची जीवन कहानी के बारे में बता रही हूं। यह हमारे ही परिवार की बात है। मेरी एक मामी थी जिनका दो साल पहले निधन हो चुका है। वो इलाज की वजह से बहुत समय तक हमारे ही साथ रही। जब वह हमारे साथ थी तो बताया करती थी कि उनके समय में कितनी गरीबी थी। वो उत्तराखंड के एक ऐसे गांव से थी जहां सुविधाओं का बहुत अभाव था।
उनके एक एक रूपया जोडना भी बहुत मुश्किल होता था। वह ये भी बोलती थी कि आज एक परिवार में सब कुछ है, पर उस वक्त उनके पास 2 जोड़ी कपड़ा भी नहीं होता था और कभी कभी खाने को भी नहीं मिलता था। गाय भैंस पालके व खेती करके गुजारा करते थे। पक्की सड़क से गांव भी बहुत दूर था। ना रास्ते सही थे और ना ही गाड़ी जाने लायक रोड संभव थी। वहां से पैदल शहर आने में भी रात हो जाती थी।
सुविधाओं के अभाव के कारण वो पढ़ भी नही पाई और माता पिता ने शादी भी जल्दी कर दी थी। बोलती थी की 16 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। मैं उनके गांव गयी तो नहीं हूं पर मैंने उनके गांव को बहुत दूर से देखा जरूर है क्योंकि पैदल चलना बहुत है।
शादी के बाद उनके पेट में हमेशा दर्द रहता था और परिवार का कोई एक सदस्य बहुत दूर दुकान जाकर दवाई लाता था। दवाई खा कर दर्द कुछ टाइम तक ठीक रहता था। ऐसा करते-करते काफी टाइम हो चला। अस्पताल दिखाने आते नहीं थे क्योंकि इतना पैसा नहीं था और ना ही समय। खेती-बाड़ी में और जानवरों के पालन में और परिवार को देखने में टाइम निकल जाता था। वो बोलती थी जब मेरी हालत ज्यादा खराब होने लगी तो मेरा पेट फूल गया।
शरीर में सूजन हो गई। किसी तरह उन्हें हल्द्वानी लाए और यहां के काफी अस्पताल में दिखाया सभी डॉक्टर ने यही बताया की ऑपरेशन करना पड़ेगा। इलाज तो कराना ही था क्योंकि उनके तीन छोटे बच्चे जो थे। सब रिश्तेदारों ने मिलकर मदद की थोड़ा-थोड़ा पैसा दिया। गांव में इलाज हो नही सकता था इसलिए वह अपना घर छोड़कर हमारे साथ ही यही हल्द्वानी शहर में रहने लगी।
मैं उन्हें बहुत अच्छा मानती थी। वह भी मुझे बहुत अच्छा मानती थी। वह मुझसे सब कुछ शेयर करती थी। कोई ऐसी बात नहीं थी जो मुझे वह नहीं बताती थी। वह कहती थी कि मुझे मेरी गरीबी ने कहीं का नहीं छोड़ा। पैसा होता तो पहले ही अपना इलाज करा लेती। अपने बच्चों को देखती। वो बहुत दुखी हो जाती थी ये सोचकर की मेरे बच्चे क्या कर रहे होंगे। कैसे होंगे। अपने बच्चों को याद करके बहुत रोया करती थी।
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बड़ी बेटी थी उनकी जो बारह साल की उम्र से ही अपने भाइयों को, अपने पापा को, अपने घर को संभाल रही थी। घर का सारा काम करती थी। पापा के पास कोई रोजगार भी नहीं था। कभी-कभी इधर उधर काम कर लेते थे या कभी उनके भाई थोड़ा पैसों की मदद कर दिया करते थे। इसी से उनका गुजारा चल रहा था। तो जो मेरी मामी थी उन्होंने तकरीबन 6-7 साल तक अपना डायलिसिस कराया लेकिन उनके साथ कुछ अच्छा नहीं हुआ।
उनकी तबीयत बहुत खराब हो चुकी थी। इलाज के दौरान वह ठीक तो हो गई पर कहते हैं ना कि किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर होता है। उनका जो बीच का लड़का था। एक रोज वह घर से भाग गया। इस दुख ने उन्हें तोड़ कर रख दिया। बेटा तो कुछ ही दिनों में मिल गया लेकिन उसके बाद गांव में उनकी बेटी के साथ एक बुरी घटना हो गई। जिसे मैं बता नहीं सकती। इस सब के बाद उनकी जीने की लालसा ही खत्म हो गई।
उन्होंने मुझसे कहा कि मेरे साथ शुरू से ही सब कुछ गलत होता आया है। कुछ भी सही नहीं हुआ। कभी सुख के दिन नहीं देखे। ना कभी बिना रोए एक निवाला मुंह पर डाला। इस बीमारी ने मेरे परिवार को तोड़ कर रख दिया। मैं जीके क्या करूं। उनकी इस बात से मुझे भी बहुत रोना आता था। मेरे परिवार के सभी लोग बहुत समझाते थे पर उनके साथ इतना कुछ हो चला था कि वह जीना ही नहीं चाहती थी।
उसके बाद वह हमारा घर छोड़कर चली गई। जब वह वहां से गई तो मैं बहुत रोई थी क्योंकि मेरा उनसे लगाव बहुत था। गांव में बिना डायलिसिस कराए वो बस 1 हफ्ते ही जीवित रह पाई और फिर उन्होंने इस दुनिया को छोड़ दिया।
आज मैं बस इतना सोचती हूं कि उन्होंने बहुत दुख झेले। कभी कभी किसी के साथ इतना बुरा होता है कि वह जीने की तमन्ना ही छोड़ देता है। वह मुझसे कहती थी कि मैं मरूंगी तो तुझे बहुत याद आऊंगा क्योंकि मैं अपना पूरा दिन उन्हीं के साथ बिताया करती थी और सच में आज भी वह मुझे बहुत याद आती है।
वो ये भी कहती थी कि 1 दिन में मर जाती तो मेरे पीछे जो पैसा खर्च होता है तो वह बच जाता और बच्चों के काम आता है। देखा जाए तो इस पूरी बीमारी में पैसा ही ऐसी चीज है जिसके ना होने पर ना तो इंसान अपनी बीमारी को ठीक कर सकता है, ना ही अच्छा खा सकता है और ना ही अच्छा पहन सकता है। पैसा ना होने पर इंसान को कोई पूछता भी नहीं है। यही हाल होता है जो मेरी मामी का हुआ। मैं इतना सोचती हूं ऐसे ही कितने लोग होते हैं समाज में, जो गरीबी में अपना सब कुछ खो बैठते हैं।
कहते हैं गरीब, गरीब होता जाता है, अमीर और अमीर बनता जाता है। इसलिए जरूरतमंद की मदद करें। खासकर गरीबों की। पैसे की फिजूलखर्ची ना करें। पैसा उतना ही खर्च करें जितना कि आपकी जरूरत है। जरूरत से ज्यादा खर्च करना अच्छा नहीं होता। मैंने अपनी मामी से बहुत कुछ सीखा है। अपने जीवन के साथ लापरवाही ना करें। कुछ भी हो तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि जिंदगी एक ही है।
आई होप आपको इस Hindi Story With Moral से कुछ सीख मिली हो। ऐसी ही और भी कहानियां पढ़ने के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।