जिसके भाग्य में जितना होता है उसे उतना ही मिलता है – Prernadayak Short Story in Hindi

Prernadayak Short Story- हम सभी जानते हैं की भाग्य से ज्यादा ना कभी किसी को मिला है और ना ही मिलेगा। हमारे पास जो कुछ भी है चाहे वो दूसरों से ज्यादा है या दूसरों से कम है, हमारे भाग्य का दिया हुवा ही है। जो हमारे भाग्य में लिखा होता है हमे वही मिलता है। लेकिन फिर बात ये आती है की जब मिलना वही है जो हमारे भाग्य में लिखा है तो फिर मेहनत और कर्म करने की क्या जरूरत है।

तो दोस्तों होता ये है की मेहनत और कर्म करना भी हमारे भाग्य में लिखा होता है और उसी के अनुसार हमारी जिंदगी चलती है। कुछ लोग बहुत मेहनत करते हैं और तब जाके उन्हें सफलता मिलती है लेकिन कुछ होते हैं जो कम मेहनत करते हैं और उन्हें सफलता भी ज्यादा मिलती है। ये सब भाग्य का ही खेल है।

किसी के भाग्य में होता है की वो जब तक मेहनत नही करेगा तब तक उसे कुछ नही मिलेगा और किसी के भाग्य में होता है की वो कम मेहनत भी करेगा तो भी उसे ज्यादा मिलेगा। भाग्य के इस चक्कर को समझना बहुत मुश्किल है। बस हम इतना समझ लें की जो होता है और जो हम करते हैं वो सब हमारी किस्मत का लिखा होता है।

आज की इस Prernadayak short story in hindi के जरिए आप समझेंगे की किस तरह हमारे भाग्य का लिखा हमे मिलता है और साथ ही दूसरों के भाग्य का लिखा भी हमारे लिए फायदेमंद होता। इस भाग्य पर कहानी के जरिए आप कई सारी बातों को जानेंगे और वो सभी बातें कहीं ना कहीं आपकी जिंदगी और माइंड में एक पॉजिटिव असर करेंगी। इस short hindi story for motivation को एक बार जरूर पढ़े और समझें की किस तरह भाग्य का खेल हमारी जिंदगी को आगे बड़ाता है।

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भाग्य का लिखा – Prernadayak short story in hindi

बहुत समय पहले की बात है। एक गांव के मंदिर में एक पुजारी था। वो पुजारी अपना सारा समय मंदिर की सफाई, पूजा पाठ, आने जाने वालों के लिए पूजा करने में ही बिताता था। उसके परिवार में कोई नही था और वो अपना खाना पीना मंदिर में होने वाले चढ़ावे से ही चलाता था। वो पुजारी व्यवहार का बहुत अच्छा था। उसके मन में पैसों के प्रति ज्यादा लालच नही था। मंदिर में जब भी ज्यादा चढ़ावा होता तो वो उनसे दूसरों लोगों की भी मदद करता था।

पुजारी मन ही मन ये भी सोचता था की मंदिर के चढ़ावे से थोड़ा बहुत बचत भी होती तो भविष्य के लिए अच्छा हो जाता। लेकिन गांव का मंदिर था तो वहां लोगों का आना जाना कम होता था मुश्किल से दिन भर में 5 से 6 पैसों का चढ़ावा हो पाता था। जिसमे से पुजारी अपने दिन भर की जरूरतों को पूरा करने के बाद सिर्फ 2 पैसे ही बचा ही पाता था।


और जब कभी चढ़ावा ज्यादा होता तो पुजारी के पास कोई ना कोई व्यक्ति ऐसा आ जाता जिसे मदद की जरूरत होती थी और पुजारी उसे मना भी नही कर पाता। बहुत समय बीत गया लेकिन पुजारी पूरे दिन 2 पैसों से ज्यादा बचत कर ही नही पाता था। वो हमेशा भगवान से यही प्रार्थना करता की, “भगवान कुछ तो ऐसा करो की मैं 2 पैसों से ज्यादा की बचत कर पाऊं।”

भगवान से प्रार्थना करके पुजारी रोज की तरह अपने काम में लग जाता। कुछ समय बाद पुजारी की शादी हो गई। घर में अब दो लोग हो गए और खर्चा चलाने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत पड़ने लगी। पुजारी की शादी होने के बाद मंदिर में लोगों का आना जाना बड़ने लगा। जिसकी वजह से चढ़ावा भी ज्यादा होता और अब पुजारी अपने घर के खर्चे पूरे करने के बाद 10 पैसे रोज बचाने लगा। धीरे धीरे पुजारी के पास ज्यादा पैसे हो गए। कुछ पैसों से उसने अपने घर की मरम्मत करी और कुछ पैसों को भविष्य के लिए बचा लिया।

कुछ समय बाद पुजारी की संतान हुई। और अब वो दो से तीन हो गए। पुजारी की संतान होने के बाद अब पुजारी ने देखा की वो अपनी दिन भर की जरूरतें पूरी करने के बाद 15 पैसे बचा लेता है। धीरे धीरे बच्चा बड़ा हूवा और स्कूल जाने लगा। अपनी बचत के पैसों से पुजारी अपने बच्चे की पढ़ाई का खर्चा चलाता था। जैसे जैसे बच्चे की उम्र बढ़ते गई और पढ़ाई का खर्चा बढ़ने लगे, वैसे वैसे ही मंदिर में चढ़ावा ज्यादा होता चला गया, ज्यादा लोग आने लगे और पुजारी के जीवन में पैसों की कोई कमी नही हुई।


अपनी जिंदगी को इस तरह बदलता देख पुजारी ने एक दिन भगवान से प्रार्थना करी और पूछा की, “भगवान में रोज के 2 पैसे बचाता था और बहुत कोशिश करने के बाद भी में कभी 2 पैसों से ज्यादा नही बचा पाया लेकिन आज में सब खर्चे करने के बाद भी 30 पैसे बचा लेता हूं, जो की मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत हैं। इस सब की वजह क्या है भगवान। क्या ये आप की कृपा है या फिर मेरा भाग्य?” ऐसा कहकर पुजारी अपने रोज के कामों में लग गया।

रात हुई और जिस समय पुजारी गहरी नींद में था उस समय भगवान उसके सपनों में आए और बोले, “भक्त ना तुम्हारा भाग्य बदला है और ना ही मैने कोई कृपा करी है, तुमने जिस दिन शादी करी और तुम्हारे घर जो स्त्री आई उसके आने से तुम 10 पैसे बचाने लगे जिसमे 8 पैसे तुम्हारी पत्नी के भाग्य के थे जिसकी वजह से तुम दोनों के पेट भर खाने पीने और बांकी जरूरतीओं की पूर्ति होने लगी, फिर तुम्हारी संतान हुई और उसके होने के बाद तुम 15 पैसे बचाने लगे जिसमे से 5 पैसे तुम्हारी संतान के भाग्य के थे और आज जो तुम 30 पैसे बचा रहे हो उसमें से 15 पैसे तुम्हारे बच्चे की पढ़ाई और उसके बेहतर भविष्य के भाग्य के हैं। भक्त, तुम आज भी अपने भाग्य के सिर्फ 2 ही पैसे बचा रहे हो और आगे भी दो ही बचा पाओगे।”

सीख जो हमे इस prernadayak kahani hindi mein से मिलती है –

दोस्तों इस कहानी से आप कई बातें समझे होंगे और साथ ही आप ये भी समझें होंगे की किस तरह हमारे भाग्य का लिखा हमे मिलता है और साथ ही किस तरह दूसरों के भाग्य का लिखा भी हमारे द्वारा होते हुवे दूसरों को मिलता है।

आपने देखा होगा की कई बार लोग पार्टनरशिप में किसी काम की शुरुवात करते हैं और धीरे धीरे वो काम बहुत चलने लगता है और जब काम चलने लगता है, इनकम होने लगती है तो वो लोग पार्टनरशिप तोड़कर खुद का काम शुरू कर लेते हैं और फिर वो जो काम शुरू करते हैं वो नही चलता और उन्हे नुकसान होने लगता है। इसका कारण भी भाग्य ही है। कई दफा ऐसा होता है की दूसरे के अच्छे भाग्य की वजह से हमारा भी अच्छा होने लगता है लेकिन हम ये बात नही समझ पाते और ज्यादातर लोग ऐसी बातों को मानते भी नही हैं।

कई बार हमारा भाग्य हमारे दोस्त, हमारे पार्टनर, हमारे परिवार के लोगों के भाग्य से भी जुड़ा होता है और जब तक हम उनके साथ होते हैं तब तक हमारे साथ सब कुछ अच्छा होता है और जब हमसे उनसे दूर होते हैं तो हमारे साथ चीज़ें ज्यादा अच्छी नहीं होती। दोस्तों जिस तरह किसी और के भाग्य की अच्छी चीजों से हमारा अच्छा होता है उसी तरह इसका उल्टा भी होता है और दूसरों के बुरे भाग्य की वजह से हमारा भी बुरा होने लगता है।

यही भाग्य का खेल है जो सारी जिंदगी हमारे साथ चलता रहता है। अगर आप ऐसी बातों को नही मानते और भाग्य पर विश्वास नहीं करते तो इस कहानी को अच्छे से दो या तीन बार पढ़ें और अपने मन में सोचें की क्या सच में ऐसा होता है, क्या आज तक आपके साथ ऐसा कुछ हुवा है जिसमें किसी और की वजह से आपको फायदा हुवा या फिर आपके परिवार में किसी सदस्य के बढ़ने से आपके साथ कुछ बेहतर हुवा, इन सवालों के जवाब जब आप खुद को देंगे तो इस कहानी से मिलने वाली सीख को आप बेहतर तरीके से समझ लाएंगे।

आई होप इस भाग्य पर Prernadayak Short Story in Hindi से आपको कुछ नया और अच्छा सीखने को मिला हो। ऐसी ही और भी प्रेरणादायक हिंदी कहानियों के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।

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