मोबाइल फोन और बदलती जिंदगी – Bad Effects of Mobile Phones in Hindi

Bad Effects of Mobile Phones- हर नया आविष्कार मनुष्य के लिए कुछ ना कुछ सुविधाएं लेकर आता है। चीजों का अविष्कार किया ही इसलिए जाता है ताकि वो मनुष्य के काम को आसान बना सके। लेकिन हर अविष्कार के कुछ ना कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं जो धीरे धीरे हमारी जिंदगी पर अपना असर डालते हैं।

ऐसा ही एक अविष्कार है मोबाइल फोन। जब बात जरूरी कामों की हो तो मोबाइल से बेहतर चीज कुछ नही होती, एक फोन घुमाया और काम हो गया, उसी तरह कुछ जानकारी चाहिए तो तुरंत इंटरनेट ऑन किया और जानकारी आपके पास। मोबाइल फोन कोई बुरी चीज नही है लेकिन आज जो हालात बन गए हैं उसे देखकर ये कहना गलत नहीं होगा की मोबाइल अब एक समस्या भी बन गया है।

ऑनलाइन शॉपिंग, गेमिंग, सोशल साइट्स, मैट्रिमोनियल साइट्स, दुनिया भर की तमाम चीजें आज एक स्मार्टफोन में उपलब्ध है। जिनका इस्तेमाल अच्छे और बुरे दोनो कामों के लिए हो रहा है। साइबर फ्रॉड, गेमिंग की लत, सोशल मीडिया की लत, हर समय मोबाइल देखते रहने की लत, हर चीज ऑनलाइन शेयर करने की लत, ये सब Mobile Phone से होने वाले दुष्प्रभाव हैं, जो आज की पीढ़ी को धीरे धीरे अंदर से खोखला कर रहे हैं।

आइए हम जरा शुरुवात से लेकर आज तक मोबाइल फोन से आए बदलावों की बारे में जानते हैं और साथ ही Bad Effects of Mobile Phones in Hindi को भी अच्छे से समझते हैं। (Post by Divya Mewari)

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1- पुराने दौर व नए दौर के फोन

आप सभी जानते हैं कि पुराने दौर में चिट्ठियों के माध्यम से ही हालचाल जाना जाता था। छोटी से छोटी बात को पहुंचाने का जरिया भी चिट्ठी ही होती थी। जहां तक मुझे याद है 1993 तक हमारे गांव में चिट्ठियों का ही चलन था। हालांकि उस वक्त लैंडलाइन कि सुविधा शुरू हो चुकी थी और हमारे गांव में एक, दो घर ही थे जिसमे लैंडलाइन वाला टेलीफोन था। उस टाइम पर यह था कि गांव में जिसके पास अच्छा पैसा है वही वो लगा पाता था।

आजकल के बच्चे कहां जानते हैं यह सब। मेरे ख्याल से तो पेजर, वॉकी टॉकी, लैंडलाइन यह तीन दूरसंचार की चीजें मैने अपने बचपन में देखी थी। धीरे-धीरे काफी घरों में लैंडलाइन फोन लगे। चिट्ठियों का दौर थोड़ा खत्म होने लगा क्योंकि चिट्ठियों को आने में ही हफ्ते या महीने गुजर जाते थे। किसी को कुछ हुआ भी हो तो पता लगने में ही महीने बीत जाते थे तो इस काम को आसान किया इस फोन ने।

2005 के बाद हमारे घर में फोन लगा था उस टाइम पर बड़ा शौक था इधर-उधर फोन करने का, अपने दोस्तों से, परिवार वालों से बात करने का, वह खुशी ही अलग थी। उस टाइम पर बड़ी असुविधा भी होती थी जैसे बहुत बारिश हुई और नदी नाले आ गए तो यह फोन खराब हो जाते थे। तेज हवा चली तो तारें टूट जाती थी।

धीरे-धीरे नए फ़ोन्स दौर शुरू हुआ मोबाइल फोन आए। उस वक्त नोकिया प्रसिद्ध हुवा करता था, लेकिन आज आप किसी के पास नहीं देखेंगे। पहले छोटे फोन आए, फिर थोड़ा और अच्छे फोन आने लगे। उस वक्त 2G नेट चलता था। धीरे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ती गई। स्मार्टफोन आने लगे। आज का दौर ऐसा है की बच्चे से लेकर बड़े हर किसी के हाथ में आपको स्मार्टफोन दिख जाएगा।

फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, ये apps आज हमारी जिंदगी का आधार बन गई हैं। नए दौर की इन चीजों ने इंसान को सुविधाएं तो दी हैं लेकिन आज ये हमारी सरदर्दी का कारण बन गई है। ऑनलाइन फ्रॉड का सबसे बड़ा कारण भी यही हैं।

हम अपना सारा समय इन्हीं एप्स में गवा रहे हैं। घंटो तक व्हाट्सएप चैट, फेसबुक विडियोज, इंस्टा रील्स ही देखते रहते हैं। चाहे कुछ अच्छा हो या बुरा। रास्ते में चलते हुवे कुछ लोग तो आगे कम और मोबाइल की तरफ ज्यादा देखते रहते हैं। खाली समय हुवा तो गेम खेलने लग गए। मोबाइल फोन ने आज लोगों की फिजिकल एक्टिविटी को बहुत कम कर दिया है।

आर्डर करो और घर पर ही चीजें मिल जाती हैं। आज की पीढ़ी बस कमरे में बैठकर मोबाइल चलाना चाहती है। उनके लिए दुनिया मोबाइल फोन के अंदर ही है। आजकल लोग हर चीज को ऑनलाइन शेयर करना ज्यादा अच्छा समझते हैं, उन्हें किसी की प्राइवेसी, किसी की भावनाओं से कोई फर्क ही नहीं पड़ता। जो मिला या जो रिकॉर्ड किया उसे शेयर कर दो।

आज लोग किसी की मदद करना भी जरूरी नहीं समझते। कोई मुसीबत में भी है तो वो पहले उसकी वीडियो बनाने में लग जाते हैं। रोजमर्रा की अगर बात करें तो आपको मोबाइल फोन के सिर्फ दुष्प्रभाव की नजर आएंगे। इसलिए मोबाइल की इस दुनिया से बाहर निकल कर जिंदगी को जिएं।

2- बच्चों की मानसिक स्थिति पर प्रभाव (Bad Effects of Mobile Phones in Children)

Mobile Phone ने आज हर घर में छोटे बच्चों की मानसिक स्थिति पर भी बहुत बुरा प्रभाव डाला है। जब बच्चा पैदा होता है और थोड़ा बड़ा होता है तो उसके सामने सबसे पहली दुर्लभ चीज फोन ही होती है। पैदा होते ही उसकी फोटो खींचना, अलग-अलग तरह की फोटो खींचकर फेसबुक, इंस्टाग्राम में डालना।

अपने परिवारों के सदस्यों को भेजना। बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाए और परेशान करने लगे तो उसे मोबाइल में वीडियो दिखा देना। फिर धीरे-धीरे बच्चा खुद ही फोन को लेकर वीडियो देखना, फोटो खींचना, खुद ही करने लगता है। उसे सीखाने की भी जरूरत नहीं पड़ती, वह माता-पिता को देखकर खुद ही सीख लेता है।

छोटे बच्चों में मोबाइल की लत लगने के सबसे बड़ा कारण है माता-पिता। बच्चा खुद इस स्थिति में नहीं आया है बल्कि माता-पिता द्वारा वह इस स्थिति तक पहुंचता है। माता पिता ही पहले बच्चे को मोबाइल में वीडियोस या गेम खेलना सीखते हैं और धीरे धीरे बच्चा उसका आदि हो जाता है। छोटे बच्चे जो कुछ भी मोबाइल में देखते हैं फिर वो वही करने और बोलने लग जाते हैं।

कुछ वीडियो अच्छी होती है और कुछ ऐसी होती हैं जिनमे अश्लीलता भरी होती है। उन्हें देखकर एक बच्चे के मन में भी वही सब बोलने और करने की सोच आ जाती है। वीडियो बनाने वालों के लिए तो ये सब फेमस होने का और पैसा कमाने का जरिया है। उन्हें कोई मतलब नहीं है कि आपके बच्चे इससे क्या सीख रहे हैं या उन पर क्या असर पड़ा है।

वो बस पैसा कमाना चाहते हैं। वो ये नही सोचते की इसका बच्चों पर गलत असर पड़ रहा है। मैं यह मानती हूं कि इस तरह की गलत चीजों को सरकार ने पूरी तरह बैन कर देना चाहिए। जिसमें गाली गलौज हो या गंद फैलाने की कोशिश की जा रही हो। इसमें दूसरों के बच्चे के बारे में क्या ही बोलूं। मेरी खुद की छोटी बच्ची मोबाइल में व्यस्त रहती है। वो जो देखती है वैसा ही करने की कोशिश करती है, जैसा उसमें दिखाया जा रहा है।

कई बार गलत चीजों को मैं खुद ही ब्लॉक कर देती हूं ताकि अगली बार वह चीज ना आए। बच्चे को कितना ही डांठ या मार लें। उसे इसकी आदत लग चुकी है। वह इतनी आसानी से जायेगी नही। मोबाइल ने उनकी मानसिक स्थिति को बदल दिया है। बिना मोबाइल में कार्टून देखें छोटे बच्चे खाने तक नही खाते।

3- आज की युवा पीढ़ी पर मोबाइल का असर (Bad Effects of Mobile Phones on Youths)

आज सबसे ज्यादा चिंता का विषय है हमारी युवा पीढ़ी। जो लोग मोबाइल का इस्तेमाल पढ़ाई के लिए, कुछ नया सीखने के लिए करते हैं उनके लिए ये एक वरदान जैसा है लेकिन जो लोग गलत चीजों के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए मोबाइल फोन किसी श्राप से कम नहीं है। सोशल मीडिया में लड़के, लड़कियां अश्लीलता फैला रहे हैं।

उस अश्लीलता को छिपाने के लिए वो खुद को मॉडर्न बोलने लगते हैं। उनका मन एक ऐसी गंदी विचारधारा की तरफ जा रहा है जिससे वो अपनी आने वाली पीढ़ी को भी दूषित कर रहे हैं। कुछ लोग अपनी अश्लीलता से पैसे भी कमा रहे हैं। लेकिन समाज पर उसका बहुत ही गलत प्रभाव पढ़ रहा है। इसी तरह आज का युवा मोबाइल में उल्टी सीधी वीडियो देखकर अपने दिमाग को गंदा कर रहे हैं।

दिन भर मोबाइल में लगे रहने से उनके स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। ऑनलाइन गेमिंग, गैंबलिंग के चक्कर में आ का युवा पैसों की बरबादी कर रहा है। कुछ युवा तो मोबाइल की वजह से ऐसी स्तिथि में आ जाते हैं की वो सुसाइड कर लेते हैं। युवाओं को मोबाइल फोन का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा नही करना चाहिए। साथ इंटरनेट मौजूद गलत चीजों से दूर रहना चाहिए।

4- वातावरण पर दुष्प्रभाव (Bad Effects of Mobile Phones in Environment)

आप तो जानते ही हैं जब तक टावर नहीं होंगे, तब तक फोन भी काम नहीं करेंगे। आज जगह-जगह इतने टॉवर लग चुके हैं कि पूछो मत। लोगों के घरों से लेकर खेतों में, पहाड़ों में दूर-दूर तक टावर ही नजर आएंगे। सब जानते हैं कि टावर से रेडिएशन होता है। इसके आसपास रहने वाले लोगों पर इसका असर पड़ रहा है। कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो रही है। इसके रेडिएशन और फ्रीक्वेंसी से आसपास उड़ती चिड़िया व कीट पतंगों को भी नुकसान होता है।

रेडिएशन से चिड़ियों, छोटे कीट पतंगों की मौत हो रही है। देखा जाए तो हर छोटे बड़े उपकरण से वातावरण को नुकसान होता ही है। ये बात सब जानते तो हैं, मगर क्या कर सकते हैं मोबाइल फ़ोन्स आज की जरूरत बन चुकी है। इसे छोड़ भी नहीं सकते हैं। कोशिश यह करें कि इन चीजों का कम इस्तेमाल करें। जिससे हमारा वातावरण कुछ हद तक सुधर सके।

आई होप आपको हमारी ये पोस्ट Bad Effects of Mobile Phones in Hindi काम की लगी हो। ऐसी ही और भी पोस्ट पढ़ने के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।

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