आज की Motivational Kahaniyan हैं जैसी करनी, वैसी भरनी पर यानी की जो जैसा करता है वैसा ही वो भरता है या यूं कहें जो जिसके साथ जैसा करता है बदले में उसके साथ भी वैसा ही होता है।
दोस्तों वैसे तो इस तरह की कहानी हमेशा बुरे कर्मों से जुड़ी होती है क्योंकि अच्छी चीजें लोग दूसरों के साथ कम ही करते हैं। लेकिन हां, जिस तरह बुरा करने पर बुरा होता है वैसे ही अच्छा करने पर अच्छा भी होता है।
ऐसा नहीं होता की आप लोगों के साथ अच्छा करें और आपके साथ अच्छा ही ना हों। ये सब चीजें एक दम से नही होती, आप किसी के साथ कुछ अच्छा करें तो अगले दिन आपके साथ भी कुछ अच्छा हो जाए या आप किसी के साथ कुछ बुरा करें और तुरंत ही आपके साथ भी कुछ बुरा हो जाए, ऐसा नहीं होता.
देर में ही सही लेकिन जैसी करनी वैसी भरनी होती जरूर होती है। आज जो 3 Hindi story with motivation में आपके लिए लेकर आया हूं ये बहुत ही मजेदार और शिक्षा से भरी हुई है। इन जैसी करनी वैसी भरनी हिंदी स्टोरीज को पूरा जरूर पढ़े।

Jaisi Karni Vaisi Bharni Story in Hindi with Motivation
एक बार की बात है, एक बड़े से जंगल में बहुत सारे जानवर मिल जुल कर रहते थे। उस जंगल में एक शेर था जो की उनका राजा था। वो शेर कहने को तो राजा था लेकिन अपनी प्रजा के लिए वो कभी कुछ नहीं करता और बदले में जब भी उसका मन होता वो किसी ना किसी जानवर का शिकार कर देता। फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा।
पूरा जंगल अपने राजा के आतंक से परेशान था। शेर जंगल का राजा था तो कोई उसके खिलाफ कुछ करने की सोच भी नही पाता। धीरे धीरे शेर बूढ़ा होने लगा और उसने शिकार करना भी कम कर दिया। शेर जानता था की अगर वो शिकार नही करेगा तो भूूख से और जल्दी मर जाएगा
इसलिए एक दिन उसने पूरे जंगल में खबर फैला दी की, “अब मैं बूढ़ा हो गया हूं लेकिन कोई मुझे कमजोर ना समझे. कल से एक एक करके तुम में से हर एक जानवर मेरा खाना बनकर खुद मेरे पास आएगा और अगर ऐसा नहीं किया तो मैं तुम्हारे बच्चों का शिकार कर दूंगा।”
इस खबर को सुनने के बाद जानवरों में दहशत फेल गई। अपने बच्चों की जान बचाने के लिए उन्होंने बारी बारी से शेर के पास जाना शुरू कर दिया। दो तीन दिन गुजरने के बाद एक लोमड़ी की बारी आई। लोमड़ी जानती थी की आज अगर वो शेर का निवाला बन गई तो कल उसके बच्चे भी शेर का निवाला बन ही जाएंगे।
शेर की गुफा में जाने से पहले उस लोमड़ी ने तरकीब सोची और जोर जोर से चिल्लाते हुवे वो शेर की गुफा में गई और बोली, “महाराज, जंगल में आप जैसा ही एक और ताकतवर शेर आ गया है और अब वो भी हम सबको अपना निवाला बनाना चाहता है। इसलिए सभी जानवरों ने निर्णय लिया है की अब वो आपके पास नही बल्कि उसके पास जाएंगे।”
लोमड़ी की बात सुनकर शेर गुस्से में बोला, “मेरे होते हुवे इस जंगल में कोई दूसरा राज नही कर सकता। तुम मुझे उसके पास लेकर चलो मैं अभी उसको हराकर इस जंगल से बाहर कर दूंगा।”
चतुर लोमड़ी ने शेर को दूर से एक कुवां दिखाया और बोली, “महाराज वो दूसरा शेर इस गुफा के अंदर रहता है, मैं इससे आगे नहीं आ सकती, आप अंदर जाकर उसे लड़ने की चुनौती दीजिए।”
लोमड़ी की बात सुनकर शेर उस कुवें के पास चला गया और जैसे ही उसने चुनौती देने के लिए अंदर देखा तो उसे पानी में अपनी परछाई दिखाई दी। उस परछाई को अपना दुश्मन समझ, वो बिना सोचे समझे उसकी तरफ झपट गया और सीधा कुवें के अंदर घुस गया।
कुवें में घुसते ही शेर समझ गया की लोमड़ी ने उसे फंसा दिया है। शेर मदद के लिए जोर जोर से चिल्लाने लगा।
लोमड़ी कुवें के पास आई और बोली, “महाराज, आज आपकी मदद के लिए कोई नही आयेगा। जिस तरह आपने अपने फायदे के लिए भोले भाले जानवरों का फ़ायदा उठाया उसी तरह आज मैंने अपने फायदे के लिए ये सब किया। अगर आपने सबका भला किया होता तो आज कोई ना आपकी मदद जरूर करता।” कुछ दिन बाद शेर उस कुवें में ही मर गया और जंगल में फिर से खुशियां लौट आई हैं, इसलिए कहते हैं जैसी करनी, वैसी भरनी।
जैसी करनी वैसी भरनी पर मोटिवेशनल कहानी (2)
पहली कहानी अगर आपको अच्छी ना लगी हो तो आप इस कहानी को पढ़िए ये जैसी करनी वैसी भरनी की दूसरी कहानी आपको जरूर पसंद आयेगी।
ये कहानी है एक घोड़े और गधे की, जो एक ही मालिक के साथ रहते थे। उनका मालिक घोड़े का इस्तेमाल घुड़सवारी के लिए और गधे का इस्तेमाल बोझा ढोने के लिए करता था। मालिक घोड़े का बहुत अच्छे से ध्यान देता और उसे बड़े ऐशो आराम से रखता।
घोड़े को इस बात पर बहुत नाज था जिसकी वजह से वो गधे का हमेशा मजाक उड़ाता और कहता की “तुम सारी जिंदगी ऐसे ही बोझा सारते रह जाओगे और कभी मेरी तरह अलिसान जिंदगी नही जी पाओगे।”
गधे को घोड़े की बात का बुरा तो लगता था लेकिन वो समझता था की घोडा सच ही बोल रहा है, उन दोनों की जिंदगी का कोई मेल नहीं है.
एक दिन गुड़सवारी के दौरान घोडा दौड़ते दौड़ते गिर गया जिसकी वजह से उसका एक पैर टूट गया. उसका मालिक किसी तरह उसे घर तक ले आया. अगले दिन डॉक्टर आया और उसने बताया की अब ये घोडा कभी रेस नहीं कर पायेगा. कुछ दिन बाद मालिक एक नया घोडा ले आया और पुराने घोड़े को गधे के साथ, सामान ढ़ोने के काम पर लगा दिया.
घोड़े को देखकर गधा बोला, “एक समय था जब तुम मेरा और मेरे इस काम का मजाक उड़ाते थे और आज तुम दो वक्त की रोटी के लिए यही कर रहे हो। मैं तो तुम्हारी जैसी जिंदगी नही जी पाया लेकिन तुम मेरी जैसी जिंदगी जरूर जी पाओगे, इसे ही कहते हैं जैसी करनी, वैसी भरनी।”
Jaisi Karni Vaisi Bharni Story (3)
तीसरी कहानी है एक लोमड़ी और बगुले की। लोमड़ी अक्सर बगुले को एक ही जगह पर खड़ा रहकर मछलियों का शिकार करते हुवे देखती थी। वो मन ही मन उससे जलती थी क्योंकि बगुला एक ही जगह पर खड़ा रहा अपना शिकार आसानी से ढूंढ लेता और लोमड़ी को अपने शिकार के लिए पूरे जंगल में घूमना पढ़ता था।
एक दिन लोमड़ी ने बगुले को परेशान करने का मन बना लिया। उसने अपने घर पर एक दावत रखी और उसमे बगुले को भी बुलाया। जब खाने की बारी आई तो लोमड़ी ने सबको थाली में खाना परोस दिया।
अब बेचारा बगुला थाली में खाना खाए कैसे क्योंकि उसकी चोंच तो लंबी थी, वो थाली में रखा खाना ठीक से मुंह में भर नही पा रहा था, जिसकी वजह से बगुले को सारी रात भूखा रहना पड़ा। लोमड़ी की इस हरकत की वजह से बगुला समझ गया ये सब लोमड़ी ने उसे परेशान करने के लिए किया है। बगुले ने जैसे तैसे वो रात काटी और अगले दिन फिर से तालाब में जाकर शिकार करने लगे।
कुछ दिन बाद बगुले ने उस लोमड़ी का धन्यवाद देने के लिए उसे अपने घर दावत पर बुलाया और जब खाने की बारी आई तो बगुले ने एक सुराही के अंदर ढेर सारी मछलियां डालकर लोमड़ी के सामने रख दी। बगुला तो सुराही में मुंह डालकर मछलियां खाता गया और बेचारी लोमड़ी उसका मुंह ताकती रही। सारी रात लोमड़ी को भूखा ही रहना पड़ा।
सीख जो इन मोटिवेशनल कहानियों से हमें मिलती है –
ये कहानियां बस हमें यही बात सिखाती हैं की जैसा हम दूसरे के साथ करेंगे, वो कहीं ना कहीं से लौटकर हमारे पास भी आएगा। सबसे जरूरी बात है की आप कभी किसी के साथ जानबूझकर गलत ना करें और ना गलत करने की सोचों क्योंकि अच्छा किया हुआ भले वापिस आए या ना आए लेकिन अगर आप किसी का बुरा करेंगे तो वो किसी ना किसी बुरे रूप में आपके पास आएगा।
आज की दुनिया के लिए जीते जागते उदारण हैं बूढ़े मां बाप, जिन्हें उनके बच्चे अकेला छोड़कर अपनी अलग जिंदगी को जी रहे हैं। मां बाप, परिवार को छोड़कर रहना आज पति पत्नी उसे बड़े सम्मान की बात समझते हैं लेकिन वो ये भूल जाते जो आज वो कर रहे हैं वही सब कल उनके बच्चे भी उनके साथ करेंगे और वो ऐसा 100 प्रतिशत करेंगे क्योंकि वो जो देखेंगे, वही सीखेंगे और वैसा ही करेंगे।
दोस्तों, मेरा आप से और खुद से भी यही कहना है की हो सके तो हर किसी के साथ अच्छा ही करें, दूसरों को ना देखें की कौन क्या कर रहा है और ये बात याद रखें की “जैसी करनी होगी, वैसी ही भरनी भी होगी।”
आई होप इन Story in Hindi with Motivation के जरिए आप कुछ काम की बातें सीखे हों। ऐसी ही और भी कहानियों के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।