रामायण और महाभारत में ऐसे बहुत से प्रेरणादायक किस्से और बातें हैं जो शायद हम में से कई लोग नहीं जानते। आज की इस god motivational stories in hindi के जरिये में आपको ऐसे ही कुछ बातों और प्रेरणादायक आध्यात्मिक कहानियों के बारे में बताऊंगा।ये तीन short new spiritual stories in hindi आपको जीवन के important lesson सिखाएंगी। इन तीन inspirational stories of god को पूरा जरूर पढ़ें और कुछ अच्छा जानें।
1- A short spiritual story from Ramayana
रामायण के अंतिम वक्त में जब रावण मृत्यु शय्या पर लेता था तो रावण ने श्री राम को एक बहुत ही अच्छी बात बोली।
रावण बोला, ‘मैं तुमसे उम्र में, ताकत में, बुद्धि में, माया में हर मामले में तुमसे बड़ा हूँ।
मेरा महल, मेरा-राज पाठ भी तुमसे बड़ा है, मेरी पास सोने की लंका है, मेरे राज्य में धन दौलत भी कोई कमी नहीं लेकिन इतना सबकुछ होने के बाद भी इस लड़ाई में आज में तुमसे हार गया। जानते हो क्यों..? क्योंकि तुम्हारे साथ तुम्हारा भाई लक्ष्मण था, और मेरा भाई विभीषण मेरे खिलाफ था। मेरा भाई ही मेरी कमजोरी जानता था और उसी की वजह से तुम जीत पाए।
Lesson of this god motivational stories in hindi-
दोस्तों इसी लिए तो किसी क्या खूब लिखा है, ‘किसी भी पेड़ के कटने का किस्सा ना होता, अगर कुल्हाड़ी के पीछे लकड़ी का हिस्सा नहीं होता।’ कई बार जिंदगी में ऐसा भी मोड़ आ जाता है की हमे अपने ही धोखा दे देते हैं। और उस वक्त खुद को संभाल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए जिंदगी में हमे इस बात की परख बहुत अच्छे से कर लेनी चाहिए की हमारा अपना कौन सच में हमारे साथ है और कौन हमारे खिलाफ है।
रामायण में शायद रावण कभी हारता ही नहीं अगर विभीषण श्री राम को रावण की मृत्यु का रास्ता नहीं बताते। हमे भी जिंदगी अपनी सीक्रेट बातें हर किसी को नहीं बतानी चाहिए। खासकर वो बातें जिनसे हमारा ही नुकसान हो जाए। भले कुछ बातें आपको अंदर ही अंदर ही परेशान करें लेकिन उन्हें तब तक किसी को ना बताएं जब तक आप खुद ये decide ना कर लें की उन्हें बताने से कहीं आपका कोई नुक्सान तो नहीं होगा।
कभी कभी अपनों को बताई हुई कोई गुप्त बात भी हमारे लिए मुसीबत का फंदा बन जाती है। इसलिए अपनी जिंदगी के फैंसले सोच समझ कर लें और अपनी बातों को सोच समझ ही दूसरों को बताएं। कलयुग के इस दौर में किसी पर भरोसा करना बहुत आसान नहीं है। कौन कब दगाबाजी कर जाए कोई नहीं जानता। फिर चाहे वो अपना सगा ही क्यों ना हो।
2- क्रोध का सही समय – true spiritual stories in hindi
महाभारत में कौरवों की तरफ से भीष्म पितामह सबसे श्रेष्ठ और ज्ञानी थे लेकिन भीष्म पितामह के जीवन का एक ही पाप था। भीष्म पितामह ने सही समय पर क्रोध नहीं किया। द्रौपदी चीर हरण के समय भीष्म पितामह अपनी आँखों के सामने हो रहे अन्याय और दुर्योधन के पाप कर्म को देखने के बाद भी चुप रहे।
वही दूसरी तरफ रामायण में जटायु थे जिन्होंने सीता हरण के समय रावण पर क्रोध किया। रावण की अपेक्षा कम बलशाली होने के बावजूद देवी सीता को बचाने के लिए रावण से लड़ाई करी। समय आने पर मृत्यु दोनों की हुई किन्तु, “मरते वक्त भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या मिली और जटायु को प्रभु श्री राम की गोद।”
वेदों में कहा गया है की, “क्रोध भी तब पुण्य बन जाता है जब वह धर्म और मर्यादा के लिए किया जाए और सहनशीलता तब भी पाप बन जाती है जब वह धर्म और मर्यादा को बचा ना पाये।” क्रोध या फिर गुस्सा सही कर्म और अच्छे के लिए किया जाए तो वो कभी भी गलत नहीं होता। बेवजह क्रोध करना इंसान को कमजोर बना देता है लेकिन सही वजह होने पर भी शांत रहना हमे अंदर से खत्म कर देता है।
क्रोध हमेशा गलत नहीं होता बशर्ते वो सही जगह और सही चीज़ों के लिए किया जाए। जैसे कई बार लाड़ प्यार के चक्कर में बच्चों की गलती होने पर भी मां-बाप उन्हें डांटते नहीं और फिर जब उनका बच्चा हद से ज्यादा बिगड़ जाता है तो इन्हें इस बात का पछतावा होने लगता है।
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3- ध्यान हमेशा लक्ष्य पर रखो – short spiritual story in hindi
रामायण में देवी सीता की खोज के लिए जब हनुमान समुन्द्र के ऊपर से लंका की तरह जा रहे थे तब समुद्र के बीच में से एक पर्वत निकला। उस पर्वत का नाम मैनाक था और वो पर्वत पूरा सोने के बना हुवा था। उस सोने के पर्वत ने हनुमान जी को देखा और उनसे कहा की, ‘आप उड़कर लंका की तरफ जा रहे हैं लेकिन अभी लंका बहुत दूर है तो क्यों ना आप कुछ देर मुझ पर विश्राम कर लें।’
हनुमान जी ने मैनाक पर्वत को देखा और बोले, ‘आपने मेरा इतना ध्यान रखा और मुझे विश्राम करने के लिए प्रस्ताव दिया, इसके लिए धन्यवाद, लेकिन मैं अभी रुक नहीं सकता। मेरा लक्ष्य है माँ सीता की खोज करना और जब तक मैं अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर लेता, तब तक मैं रुक नहीं सकता।’

पर्वत बोला, ‘अभी सफर बहुत लम्बा है। आपको विश्राम कर लेना चाहिए।’
हनुमान जी बोले, ‘अभी मुझमें बहुत उत्साह है लेकिन अगर में आपकी बातों में आकर रुक गया तो मुझ में आलस्य आ सकता है।’
हनुमान जी समझ गए थे कि ये सोने का पर्वत है। अगर मैं इस पर रुक गया तो कहीं न कहीं मेरे जीवन में आलस्य, भोग-विलास आ सकता है। हनुमान जी मैनाक को धन्यवाद कहकर आगे बढ़ गए।
Lesson of this god motivational story –
जब हम किसी लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं तो हमें भी भोग-विलास, सुख-सुविधा के साधन मिलते हैं। कभी-कभी कार, मोबाइल, टीवी जैसी चीजें मैनाक पर्वत की तरह हमें रोकती हैं। बुद्धिमानी ये होनी चाहिए कि इन्हें स्पर्श करें यानी इनका उपयोग करें और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ जाएं।
कुछ लोग इन चीज़ों में ही बंधे रह जाते हैं और अपनी मंज़िल से भटक जाते हैं। अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमे उन चीज़ों से हमेशा दूर ही रहना चाहिए जो हमे हमारे लक्ष्य से भटका सकती हैं। हमेशा अपने लक्ष्य को सबसे ऊपर रखें और जब तक उसे पा ना लें तब तक रुके नहीं। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने से पहले ही खुद को आराम दे दे वो अक्सर असफल हो जाता है।
किसी भी काम में अगर सफलता पानी है तो उससे सबसे पहले पूरा करें तब जाके उसके results के बारे में सोचें। हम जोश जोश कई चीज़ों की शुरुवात कर लेते हैं लेकिन उन्हें पूरा नहीं कर पाते और फिर अपनी असफलता का रोना रोते रहते हैं। इसलिए लक्ष्य का होना और उसे पाने की पूरी कोशिश करना ही हमारा कर्तव्य होना चाहिए।
आई होप आपको ये तीन god motivational stories in hindi अच्छी लगी हों और साथ ही आपको इन आध्यात्मिक प्रेरणादायक कहानियों से कुछ सीख मिली हो। ऐसी ही और भी कहानियां पढ़ने के लिए इस पेज को फॉलो जरूर करें। इस पोस्ट को शेयर जरूर करें।